अयोध्या। जनवादी लेखक संघ, द्वारा जनमोर्चा सभागार में कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के महासचिव सीताराम येचुरी के देहान्त पर शोकसभा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने कहा कि उनका असामयिक निधन भारत के वाम-जनवादी आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी और फांसीवादी उभार के खि़लाफ़ संघर्ष उनकी प्राथमिकता में था। इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष मो. ज़फ़र ने मार्क्सवाद के विचारों के संबंध में उनके योगदान को याद किया। बीमा संघ के नेता रविशंकर चतुर्वेदी ने कहा प्रखर और मेधावी छात्र होते हुए भी उन्होंने अपने लिए होल टाइमर का जीवन चुना। डॉ विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि सीताराम येचुरी के जाने से एक बड़ी वैचारिक रिक्ति पैदा हुई है जो जनप्रतिबद्ध व्यक्तियों की सार्थक सक्रियता से ही भरी जा सकेगी। सामाजिक कार्यकर्ता सूर्यकांत पांडेय ने कहा कि जब हम वैश्विक स्तर में फासीवादी उभार के दुष्परिणामों को देख रहे हैं, उनका जाना एक बड़े धक्के की तरह है। कवयित्री विनीता कुशवाहा, ऊष्मा वर्मा, मांडवी सिंह , पूजा श्रीवास्तव, और बीएसएनएल यूनियन के अध्यक्ष कॉम तिलक राम तिवारी ने भी सीताराम येचुरी के जाने को वामपंथ की बड़ी क्षति बताया।
सभा का संचालन कार्यकारी सचिव मुजम्मिल फ़िदा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सत्यभान सिंह ने सीताराम येचुरी के साथ अपनी स्मृतियों को साझा करते हुए यह बताया कि पूरे देश में उनके विचारों को याद किया जाता रहेगा।
स्मृति सभा में इल्तिफात माहिर, रामदास सरल, कबीर, रामजीत यादव बेदार, वाहिद अली, मोतीलाल तिवारी, घनश्याम, महावीर,सृष्टि, ,क्रांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह फास्टर,अनंत राम,आदि संगठन के सदस्य एवं साहित्य-संस्कृति कर्मी मौजूद रहे।