अयोध्या। तीन कलश तिवारी मंदिर के सौजन्य से श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस की बेला में जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी डॉ राघवाचार्य जी महाराज ने भक्तों को श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं का वर्णन सुनाया। उन्होंने ब्रह्मा जी के मानमार्जन से लेकर कालयवधार, चीर हरण लीला और गोवर्धन पूजा तक की गाथा को विस्तार से समझाया। स्वामी ने कहा कि ब्रह्मा जी का मानमार्जन एक ऐसी लीला है जिसमें ब्रह्मा जी को अहंकार हुआ कि वे सृष्टि के रचयिता हैं, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं द्वारा उनके मान का हरण किया और उन्हें अपनी असली शक्ति का बोध कराया। इस लीला में यह संदेश छिपा है कि अहंकार किसी को नहीं करना चाहिए, क्योंकि परमात्मा की माया और उनकी शक्ति अपार है।
स्वामी ने कालयवधार का वर्णन किया, जहां श्रीकृष्ण ने कालिया नाग का उद्धार किया। कालिया नाग का अत्याचार यमुना नदी में बढ़ चुका था और श्रीकृष्ण ने उसके फन पर नृत्य कर उसे पराजित किया। यह लीला दर्शाती है कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। कथा शुभारंभ के पहले पंडित शिवेश्वरपति त्रिपाठी, पंडित श्रीशपति त्रिपाठी और महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी व्यास पीठ और व्यास पीठ पर विराजमान जगतगुरू स्वामी डॉ राघवाचार्य महाराज का पूजन अर्चन किया। कथा के विश्राम मेला पुनः आरती उतारी के और प्रसाद वितरण किया गया। पूर्व सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह, वैदेही बल्लभ शरण सहित अन्य संत महंतो व आए अतिथियों का स्वागत रूद्रेश त्रिपाठी ने किया।