Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या आस्था व अंधविश्वास में है सूक्ष्म मनोविभेद

आस्था व अंधविश्वास में है सूक्ष्म मनोविभेद

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◆ अंधविश्वास का है मनोरोग से गहरा संबध


अयोध्या। जिला चिकित्सालय के किशोर व युवा मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन के बताया कि आस्था वह मनोदशा है जिससे मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन तथा तनाव दूर करने वाले व आनन्द की अनुभूति वाले हार्मोन एंडोर्फिन व आक्सीटोसिन की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे मन में स्फूर्ति, उमंग, उत्साह ,आनन्द व आत्मविश्वास का संचार होता है। मानसिक शांति व स्वास्थ्य में अभिवृद्धि होती है।
जबकि अंधविश्वास से अपरिपक्व, न्यूरोटिक, व साईकोटिक मनोरक्षा-युक्तिया प्रबल होती हैं जो कि मनोअंतर्दृष्टि को क्षीण करते हुए डिसोसिएटिव डिसऑर्डर, कन्वर्जन डिसऑर्डर, फ़ोबिया, अवसाद, ओ.सी.डी., उन्माद , अवसाद व स्किजोफ्रिनिया जैसी गंभीर मनोरोग का कारण बन सकती है। वहीं दूसरी तरफ गम्भीर मनोरोग से ग्रसित व्यक्ति या परिवार भी जघन्यतम अंधविश्वास के कृत्यों पर उतारू हो सकता है। जिसे मनोविश्लेषण की भाषा मे डिल्यूजनल डिसऑर्डर कहा जाता है। समय-समय पर पूरी दुनिया में अंधभक्ति या अंधविश्वास जनित जघन्य घटनाये सामने आती रहती है। जिसको जन मनोजागरूकता व वैज्ञानिक अध्यात्मिकता के प्रसार से काफी हद तक कम किया जा सकता है ।

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