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स्मृति के लिए सुरक्षित रखा जाएगा अस्थाई मंदिर का टेंट व भगवान का सिंहासन

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राम लला विराजमान

ऊंचाई को कम करके पुराने अस्थाई मंदिर लकड़ी को किया जाएगा मजबूत


परकोटे से राममंदिर को ब्रिज व लिफ्ट के जरीए जाएगा जोड़ा


अयोध्या। श्रद्धालुओं की स्मृति के लिए अस्थाई मंदिर का टेंट व भगवान का सिंहासन सुरक्षित रखा जाएगा। अस्थाई मंदिर उसी तरीके व उसी आकृति का बनाया जाएगा। राममंदिर भवन निर्माण समिति की सर्किट हाउस में चली बैठक में इसके बारें में चर्चा की गई। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्रा ने बताया कि पुराने मंदिर को लोग देखने जाएंगे। उसको किस आकार में रखा जाए, उसको अंतिम रुप दे दिया गया है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में इस मंदिर के उंचाई पर होना थोड़ी सी चुनौती है। उंचाई को कम करना होगा। उसी आकृति का मंदिर बनाना होगा। मंदिर लकड़ी के पैनल का बना हुआ है। लकड़ी के पैनल की अवधि कम होती है। उसकी मजबूती पर विचार किया जा रहा है। मंदिर में दो चीजे अवश्य रखी जाएंगी। एक भगवान का टेंट चम्पतराय के पास मिल गया है। दूसरा 1949 में भगवान का सिंहासन भी मिल गया है। यह हम श्रद्धालुओं के लिए रखेंगे। जिससे उन्हें यह प्रेरणा मिले कि जिस भगवान की हम पूजा करते है। उनको किस प्रकार का कदम उठाना पड़े जिससे इस प्रकार की स्थिति पुनः न हो।
उन्होंने बताया कि मुख्य चुनौती परकोटा से राम मंदिर को एक लिफ्ट और ब्रिज के जरिए जोड़ना है, मंदिर के पश्चिम दिशा में लिफ्ट और ब्रिज का कार्य चल रहा है। उन्होंने बताया कि राम मंदिर के शिखर पर दो लाईट लगाई गयी है। जिसमें एक हवाई जहाज के लिए संकेतक का कार्य करेगा, दूसरा आकाशीय बिजली से राम मंदिर को सुरक्षित करने के लिए लगाया गया है। जो बिजली को सीधा जमीन में उतारेगा। शिखर पर केवल ध्वजा लगाने का कार्य रह गया है। तीन-चार महीने बाद एक शुभ मूहूर्त में इसे लगाया जाएगा। हम लोगो के द्वारा निश्चित किए गये कार्य 30 जून तक पूरे हो जाएंगे।

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