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अवध विवि के विद्या परिषद में एनईपी की नई गाइड लाइन पर लगी मुहर

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अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक भवन के सभागार में सोमवार को कुलपति प्रो0 प्रतिभा गोयल की अध्यक्षता में विद्या परिषद की बैठक हुई। जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की नई गाइड लाइन को अंगीकृत किए जाने पर मुहर लगी। बैठक की शुरूआत कुलसचिव उमानाथ द्वारा कार्यवृत्त को सदस्यों के बीच पटल पर रखा गया। इसके उपरांत कुलपति प्रो. गोयल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की नई गाइड लाइन पर चर्चा कराते हुए आगामी सत्र 2025-26 से परिसर एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में स्नातक एवं परास्नातक स्तर पर लागू किए जाने का अनुमोदन किया।

       बैठक में कुलपति ने बताया कि एनईपी स्नातक चार वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए यूजीसी द्वारा जारी किए गए कैरीकुलम और क्रेडिट में 20 क्रेडिट प्रति सेमेस्टर का प्रावधान है। इसे पहले उत्तर प्रदेश शासन के एनईपी की संरचना में छात्रों के ऊपर अधिक अधिभार था जिसे एनईपी नई गाइड लाइन में कम किया गया है। विश्वविद्यालय वर्तमान में उच्च शिक्षा के यूजी-पीजी पाठ्यक्रम में 20 क्रेडिट प्रति सेमेस्टर के प्रावधान को अंगीकृत कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था कला, विज्ञान, वाणिज्य आदि संकायों में त्रिवर्षीय बहुविषयक स्नातक तथा चार वर्षीय स्नातक (मानद व मानद शोध सहित) जैसे बी.ए., बी.एससी. एवं बी.काम तथा एकल विषय परास्नातक जैसे एम.ए., एम.एससी, एम.कॉम. पाठ्यक्रम पर लागू होगा। त्रिवर्षीय स्नातक स्तर पर विभिन्न विषयों के न्यूनतम समान पाठ्यक्रम पूर्व के आगे भी जारी रहेंगे। चार वर्षीय स्नातक कोर्स का पाठ्यक्रम स्नातक के तीन वर्ष एवं परास्नातक के प्रथम वर्ष को जोड़कर माना जायेगा, अलग से नये पाठ्यक्रम बनाने की आवश्यकता नहीं होगी।

       बैठक में कुलपति ने बताया कि परिसर एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों में प्रारम्भ में विद्यार्थी का प्रवेश तीन वर्ष की स्नातक डिग्री के लिए किया जायेगा। चौथे वर्ष में विद्यार्थी चार वर्ष की स्नातक (मानद), स्नातक (मानद शोध सहित) एवं स्नातक (एप्रेन्टिससिप एम्बेडिड) डिग्री में से किसी एक का चयन कर सकते है। विद्यार्थी को प्रवेश के समय बी.ए., बी.एस.सी, बी.कॉम आदि में से किसी एक पाठ्यक्रम का चयन करेगा और उसे उस पाठ्यक्रम के दो मुख्य (मेजर) विषयों का चयन करना होगा। इसी पाठ्यक्रम में विद्यार्थी को डिग्री मिलेगी। कुलपति ने बताया कि पाठ्यक्रम के चयनित विषयों का अध्ययन वह तीन-चार वर्ष (प्रथम से छठे, अष्टम सेमेस्टर) तक कर सकता है। त्रिवर्षीय स्नातक के अध्ययन के पश्चात चार वर्षीय डिग्री के लिए भी विद्यार्थी को उस विषय में परास्नातक में नया प्रवेश लेना होगा जो कि विश्वविद्यालय में प्रचलित प्रवेश प्रक्रिया के अनुरूप परास्नातक की उपलब्ध सीटों पर किया जायेगा। बैठक में कुलपति प्रो0 गोयल ने बताया कि विश्वविद्यालय व महाविद्यालय के विद्यार्थी प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ष के पश्चात अपने पाठ्यक्रम से एग्जिट कर सकते है जिसके लिए विद्यार्थी को पाठ्यक्रम का उल्लेख करते हुए प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना होगा। विद्यापरिषद की बैठक में कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय-महाविद्यालय में माइनर पेपर स्किल पाठ्यक्रम के लिये स्वयं पोर्टल एवं अन्य मान्यता प्राप्त आनलाइन संस्थानों से विद्यार्थी निःशुल्क अध्ययन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय इन अध्ययन की परीक्षा माइनर पेपर के साथ करायेगा। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के कौशल विकास, सह पाठ्यचर्या, शोध परियोजनाओं, क्रेडिट व क्रेडिट निधार्रण, प्रवेश नियमावली एवं प्रक्रिया तथा समय सारणी, मूल्यांकन प्रक्रिया सहित कई विन्दुओं पर चर्चा की गई जिसे विद्यापरिषद द्वारा अनुमोदन किया गया।

               बैठक में प्रो. आशुतोष सिन्हा, प्रो. हिमांशु शेखर सिंह, प्रो. अशोक राय, प्रो. संत शरण मिश्र, प्रो. डीपी मिश्र, प्रो. फर्रूख जमाल, प्रो. गंगाराम मिश्र, प्रो. रमा शंकर यादव, प्रो. राम नयन सिंह, प्रो. बीपी सिंह, प्रो. के.के. वर्मा, प्रो. नीलम पाठक, प्रो. एसके रायजादा, प्रो. विनोद श्रीवास्तव, प्रो. शैलेन्द्र वर्मा, प्रो. रामजी पाठक, प्रो. मुदृला मिश्रा, डॉ. दीपा वर्मा, डॉ. रोमा अरोड़ा, प्रो. संजय कुमार पाण्डेय, प्रो. श्याम बहादुर सिंह, प्रो. वीके गुप्ता, प्रो. जेबी पाल, डॉ. अजय सिंह, प्रो. गीता त्रिपाठी, प्रो. जेबा महमूद, डॉ. संजय चैधरी, डॉ. विजयेन्दु चतुर्वेदी सहित अन्य सदस्य ऑफलाइन व ऑनलाइन जुड़े रहे।

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