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रोमांटिक लव पार्टनर बनने की मनोदशा बन रही अभिभावकों के लिए परेशानी का सबब

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अयोध्या। किशोर-किशोरियों मे बढ़ रही नई मनोदशा टीचर व अभिभावक की परेशानी का सबब बन रही है। सहपाठियों के रोमांटिक लव पार्टनर बनने की इस मनोदशा की बानगी उनके चैट में दिखाई दे रही है। भवदीय पब्लिक स्कूल मे आयोजित छात्र समस्या -व्यवहार प्रबंधन की शिक्षक संवेदीकरण कार्यशाला मे यह बातें जिला चिकित्सालय के, मनोपरामर्शदाता डॉ आलोक मनदर्शन ने बतायी।
डॉ मनदर्शन के अनुसार इस मनोदशा में चैट एप्स की बातचीत में प्यार के इजहार से लेकर यौन उत्तेजक बातें व सेक्सटिंग भी शामिल है। यह मनोदशा न केवल स्कूली दिनों की मासूमियत छीन रही है। बल्कि अन्य मनोसेक्स व अपचारी व्यवहार का आधार बन अकादमिक परफोर्मेंस व क्लॉसरूम वातावरण को दुष्प्रभावित कर रही है। उम्र जनित मनोशारीरिक बदलाव व डिजिटल एक्सपोज़र इसमें उत्प्रेरक का कार्य कर रहे है। बचकानी व किशोरवय उम्र में विपरीत लिंगी आकर्षण होना तो स्वाभाविक होता है पर फेलो फ्रेंडशिप की सोशल मीडिया जनित मनोउडान रोमांटिक चैटिंग में बदल देती है । इस प्रकार रोमांटिक उमंग व आवेश वाले मनोरसायन डोपामिन व ऑक्सीटोसिन का लेवल दिमाग मे बढ़ने से शुरु हो जाती है फेलो फ्रेंड्स से लव बर्ड्स की उड़ान।
टीनेज व प्रीटीनेज स्टूडेंट्स में बढ़ रही इस समस्या को नियंत्रण करने में अभिभावक,टीचर व हमजोली समूह का रोल बहुत ही अहम है । अभिभावक अपने पाल्य पर पैनी व मैत्री पूर्ण नज़र रखें तथा हमजोली समूह की गतिविधियों पर मनोवैज्ञानिक परख बनाये रखें। शिक्षक ऐसे लत के स्टूडेंट का सपोर्टिव सुपरविजन करते हुए हेल्दी फेलो फेंडशिप व फैंटसी मनोउड़ान के अंतर की रोल मॉडलिंग करें । रिस्क ग्रुप स्टूडेंट्स की फैमिली काउंसलिंग व पियर काउंसलिंग काफी प्रभावी होती है । सोशल मीडिया के यूज, मिसयूज व एब्यूज का भी संवेदीकरण आवश्यक है। अध्यक्षता प्रिंसिपल बरनाली गांगुली व संयोजन आभा सिंह ने किया।

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