Home News भगवान सूर्य की रश्मि ने किया रामलला का तिलक

भगवान सूर्य की रश्मि ने किया रामलला का तिलक

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◆ रामजन्मोत्सव पर भए प्रगट कृपाला के स्वर से रामनगरी का परिवेश हुआ भक्तिमय


◆ आस्था के आगे प्रभावहीन दिखी वातावरण में फैली तापमान बढ़ने के कारण गर्मी


अयोध्या। रामनवमी पर आस्था का जनसैलाब अयोध्या में अपने आराध्य का दर्शन करने के लिए उमड़ा। रामजन्मभूमि भगवान सूर्य की रश्मि से रामलला का तिलक करने की साक्षी बनी। सूर्यतिलक के दृश्य को देखने के बाद रामभक्तों के मन में आस्था व भक्ति का ज्वार दिखाई दिया। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर लोगो ने अपने मनोभाव को पोस्ट के माध्यम से प्रदर्शित किया। पूरी अयोध्या में भए प्रगट कृपाला का स्वर गूंजता रहा।

रामनगरी में राम जन्मोत्सव की धूम पिछले आठ दिनों से थी। रामनवमी पर तो उल्लास चरम पर दिखा। भव्य मंदिर के दरवाजे भक्तों के लिए सुबह 6 बजे ही खोल दिये गए थे। सुबह 9ः30 से 10ः30 बजे तक श्री राम का अभिषेक चला। दूध, दही, घी, अष्टगंध व सरयू के जल से प्रभु का घंटों अभिषेक हुआ। इसके बाद श्रृंगार शुरू हो गया। भगवान को नवीन वस्त्र धारण कराए गए। रत्न जड़ित आभूषण व स्वर्ण मुकुट धारण कराया गया। इसके बाद 56 व्यंजनों का भोग लगा। तभी घड़ी की दोनों सुइयों एक ही जगह मिलन हुआ और घंटे-घड़ियालों की ध्वनि के बीच रामलला की आरती उतारी गई। उधर, सूर्य देव के तिलक करने का अभियान जारी रहा। आयोजन को हर घर व राम भक्त तक पहुंचाने के लिए लाइव टेलिकास्ट की व्यवस्था की गई थी।


पांच हजार से भी अधिक मंदिरों में रही धूम


रामनवमी पर दोपहर ठीक 12 बजे ही कनक भवन, दशरथ महल समेत पांच हजार अन्य मंदिरों में धूम रही। 12 बजे ही आरती हुई। कनक भवन में तो जन्म की बधाइयां गाई जा रही थीं। इस दौरान भक्त नाचते-झूमते दिखे। इसी तरह अन्य मंन्दिरों में दर्शन को पहुंचे श्रद्धालुओ के बीच उत्सव का नजारा दिखा।


रामपथ पर श्रद्धालुओं पर सरयू जल की वर्षा


दर्शन के लिए रामपथ और जन्मभूमि पथ पर जुटे श्रद्धालुओं पर ड्रोन की मदद से सरयू के जल का छिड़काव कराया गया। यह आध्यात्मिक रूप से भी काफी फलित माना जा रहा हैं। वहीं तेज धूप व लू को देखते हुए भी इसे उचित बताया गया।


सूर्य तिलक होते मुख्यमंत्री ने लिखा…


रामनवमी की बधाई देने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामलला से सूर्य तिलक की तस्वीर सोशल मीडिया के एक्स प्लेटफॉर्म पर डालते हुए लिखा “सकल सौभाग्यप्रद सर्वतोभद्र-निधि, सर्व, सर्वेश, सर्वाभिरामं।“
“शर्व-हृदि-कंज-मकरंद-मधुकर रुचिर-रूप, भूपालमणि नौमि रामं॥“सूर्यकुलभूषण प्रभु श्री रामलला के भव्य भाल पर अंकित यह स्वर्णिम ’सूर्य तिलक’ सनातन राष्ट्र के हृदय में आस्था का अमर दीप प्रज्वलित कर रहा है। समूचे भारत को आत्मगौरव के उजास से आलोकित करता यह ’सूर्य तिलक’ हमारी संस्कृति की दिव्यता और परंपराओं की पवित्रता की विराट अभिव्यक्ति है। यह सूर्य तिलक, ’विकसित भारत-आत्मनिर्भर भारत’ के प्रत्येक संकल्प को अपनी दिव्य आभा से दीप्त करेगा।

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