◆ अविवि के पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ में गोष्ठी का आयोजन
अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ में पं. दीनदयाल की जयंती पर उनके विचारों की प्रासंगिकता विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष एवं शोधपीठ के समन्वयक प्रो. आशुतोष सिन्हा ने कहा कि पं. दीनदयाल के जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र के उत्थान में अपना शीर्ष योगदान दे। दीनदयाल जी द्वारा एकात्ममानव दर्शन का सिद्धांत सम्पूर्ण मानवता के लिए अनुपम भेंट है। जिसका अनुसरण करने से समस्त प्रकार की आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं अन्य समस्याओं का निदान हो जाता है। हमें इस सिद्धांत पर चलने के लिए स्वार्थ, मोह और लोभ का परित्याग करना होगा। इसके साथ ही नैतिकता के मार्ग पर चलना होगा। ऐसा करने पर ही अन्त्योदय होगा और तभी अन्त्योदय से ही सर्वोदय होगा। उन्होंने कहा कि एकात्ममानव के विकास अर्थात शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के सर्वागीण विकास के लिए धर्म के अनुसार अर्थ एवं काम में सामजंस्य बैठाना होगा, ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके। प्रो. सिन्हा ने कहा कि पं. दीनदयाल के एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत एवं उनके खाद्य सुरक्षा, कृषि, उद्योग, रोजगार एवं पर्यावरण पर दिए गए विचार आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। उनका अनुसरण करके हम एक श्रेष्ठ समाज व राष्ट्र का निर्माण कर सकते है।
कार्यक्रम में अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. नीलम पाठक ने कहा कि हमें अनुशासन, शांति एवं एकता से रहना चाहिए और एकाग्रता बनानी चाहिए। जिससे समाज का विकास हो। कार्यक्रम में प्रो. फर्रूख जमाल ने बताया कि समाज में धर्म और विचारों का बहुत बड़ा मंथन चलता है। पं. दीनदयाल के विचारों को आत्मसात करेंगे तो एक उनके प्रति श्रद्धाजंलि होगी। इस अवसर पर प्रो. गंगाराम मिश्र एवं डॉ. सुरेन्द्र मिश्र, डॉ. अलका श्रीवास्तव, डॉ. सरिता द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने पं. दीनदयाल जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया।