◆ एंग्जाइटी-डिसऑर्डर का प्रकार है जूनूनी-बाध्यता विकार
अयोध्या। आर्मी पब्लिक स्कूल में आयोजित एंग्जाइटी- डिसऑर्डर अवेयरनेस टाक-शो में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा. आलोक मनदर्शन ने बताया कि ओवर-थिंकिंग या अनचाहे विचारों से ग्रसित रहने तथा आत्मविश्वास मे कमी के कारण दिनचर्या के कार्यों में कुछ अधूरा, या गलत रह जाने के भयवश कृत्य को बार-बार दोहराने, चेक व रिचेक करने की रुग्ण मनोदशा ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर-ओसीडी या जुनूनी मनोबाध्यता-विकार कहलाती है। चिंतालु व परफेक्शनिस्ट व्यक्तित्व विकार में ओ सी डी से ग्रसित होने की सम्भावना अधिक पायी जाती है। ऐसे लोगों में सोशल फोबिया, क्लास्ट्रोफोबिया, अगोराफोबिया, जनरलाइज्ड फोबिया, परफारमेंस फोबिया जैसे अन्य भय भी दिखते है । पैनिक-अटैक या तीव्र घबराहट के दौरे भी पड़ सकते है। आगे चलकर ओ सी डी का मरीज मूड डिसऑर्डर, डिप्रेशन व सिजोफ्रेनिया का भी शिकार हो सकता है। ओ सी डी का मनोशारीरिक या साइकोसोमैटिक असर भी होता है। ओसीडी जनित मेन्टल स्ट्रेस से कार्टिसाल व एड्रेनिल हॉर्मोन बढ़ जाता है जिससे चिंता, घबराहट, डर,भय, एडिक्टिव इटिंग,आलस्य, मोटापा , अनिद्रा, हृदय की असामान्यत अनुभूति या कार्डियक न्यूरोसिस, पेट खराब रहना या गैस्ट्रिक न्यूरोसिस व नशे की घातक स्थिति पैदा हो सकती है।
डा मनदर्शन के अनुसार स्ट्रेस व एंग्जायटी एक हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। किसी कार्य को सामान्य से अधिक समय तक करने या दोहराने के जूनून व बाध्यता के प्रति जागरूक रहें । स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें। इस जीवन शैली से मस्तिष्क में हैप्पी हार्मोन डोपामिन ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन व इंडोर्फिन हैप्पी हार्मोंन का संचार होता है। प्रधानाचार्य धीरज श्रीवास्तव के निर्देशन तथा पूनम सिंह के संयोजन में आयोजित वार्ता सत्र में समस्त शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।