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मनोतनाव अनिद्रा का कारण बनता है, अनिद्रा मनोतनाव में कर देता है अभिवृद्धि– डा मनदर्शन

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अयोध्या। पैका लिमिटेड सभागार में आयोजित हैप्पी-हार्मोन व मनोस्वास्थ्य विषयक  कार्यशाला मे जिला चिकित्सालय के  मनोपरामर्शदाता डा० आलोक मनदर्शन ने बताया कि मनोतनाव अनिद्रा का कारण बनता है और फिर यही अनिद्रा मनोतनाव में अभिवृद्धि कर देता है । नींद न आने पर अनचाहे नकारात्मक विचार प्रवाह बहुत तेज हो कर स्ट्रेस हार्मोन कार्टिसाल में अभिवृद्धि करते है जिससे उलझन, घबराहट,चिड़चिड़ापन,क्रोध,ओवर थिंकिंग,मुह सूखना, बार बार पेशाब, मीठा खाने या नशे की तलब,मोबाइल एडिक्शन आदि  के लक्षण दिखायी पड़ सकते हैं। अनिद्रा या इनसोमनिया डिसऑर्डर के प्रमुख तीन रूप होते हैं । एक है बहुत दर से नींद आना, दूसरा है नींद का बार बार टूटना और तीसरा है नींद समय से बहुत पहले टूट जाना और दोबारा न आना।

अनिद्रा से पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली दुष्प्रभावित होती है। आलस्य, मोटापा, सरदर्द, नींद में चलना व बड़बड़ाना भी हो सकता  है।

उन्होंने कहा कि आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें। इस नींद से ब्रेन की बैटरी पूरी तरह चार्ज हो जाती है। दिनचर्या में मूड स्टेबलाइज़र हार्मोन सेरोटोनिन, रिवॉर्ड हार्मोन डोपामिन,साइकिक पेन रिलीवर हार्मोन एंडोर्फिन व लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन के समुचित संचार हेतु हॉबी-एक्टिविटी या सेल्फ टाइम से बढ़ने वाले हैप्पी हार्मोन्स के द्वारा ब्रेन रिफ्रेश होता है जिससे तनाव व मनोथकान से उत्पन्न स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसाल व एड्रेनिल उदासीन होता है। समुचित नींद व स्वस्थ मनोरंजक गतिविधियों  से ब्रेन का सॉफ्टवेयर अपडेट  होकर स्वस्थ व उत्पादक बना रहता है जिससे दिमाग व शरीर स्वस्थ रहते हैं । यह जीवनशैली माइंड-फ्रेंडली कहलाती है।अनिद्रा या उलझन दो  हफ्ते से ज्यादा महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। कार्यशाला का संयोजन डा पवन तथा संचालन दीपाली द्वारा किया गया ।

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