Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या जिला जज की अध्यक्षता में अयोजित हुआ विधिक जागरूकता शिविर

जिला जज की अध्यक्षता में अयोजित हुआ विधिक जागरूकता शिविर

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◆ शिविर में महिलाओं को दी गई उनके कानूनी हक की जानकारी


अयोध्या। तहसील मिल्कीपुर के सभागार में महिला केन्द्रित कार्यक्रम (विधान से समाधान) विधिक जागरूकता शिविर का अयोजन किया गया। जिला जज गौरव कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित शिविर में आंगनवाडी कार्यकत्री, आशा बहुएं, स्वंय सहायता समूह, क्षेत्र की महिलाएं, महिला पुलिस, अध्यापिका, 15 वर्ष से अधिक उम्र की छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम में शैलेन्द्र सिंह यादव, अपर जिला जज अरूण प्रकाश तिवारी चीफ लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल फैजाबाद एवं अजीज हसन  असिटेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल फैजाबाद द्वारा महिला अधिकारों के विषय पर विधिक रूप से जागरूक किया गया।

कार्यक्रम में रिसोर्स परसन अरूण प्रकाश तिवारी द्वारा महिला अधिकारों एवं पारिवारिक विधिक-विवाह, विवाह-विच्छेद, भरण-पोषण, सम्पत्ति के संबंध में महिलाओं के अधिकार, घरेलू हिंसा संबंधी प्राविधानों से महिलाओं को अवगत कराया। महिला कर्तव्यों के बारे में विधिक रूप जागरूक किया गया। सरकारी योजनाओं के बारे में बताया गया।

अजीज हसन  असिटेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल फैजाबाद  द्वारा दहेज-मृत्यु, ऐसिड अटैक, अपहरण, रेप, लैगिंक हिंसा, पाक्सों एक्ट संबंधी, कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न, मातृत्व अवकाश संबंधी विस्तृत जानकारी प्रदान की।

उक्त के अनुक्रम में अपर जिला जज शैलेन्द्र सिंह यादव अपर जिला जज व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अयोध्या द्वारा निम्न विषयों पर महिलाओं को जानकारी दी।

1-समान पारिश्रमिक का अधिकार-समान पारिश्रमिक अधिनियम के अनुसार, अगर बात वेतन या मजदूरी की हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

2-कार्यस्थल पर छेड़छाड़ – यौन उत्पीड़न से संरक्षण का अधिकार-काम पर हुए यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार आपको यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है।

3-घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार-यह अधिनियम मुख्य रूप से पति, पुरूष लिव इन पार्टनर या रिश्तेदारों द्वारा एक पत्नी, एक महिला लिव इन पार्टनर या फिर घर में रह रही किसी भी महिला जैसे मां, बहन पर की गई घरेलू हिंसा से सुरक्षा करने के लिए बनाया गया है, आप या आपकी ओर से कोई भी शिकायत दर्ज करा सकता है।

4-मातृत्व संबंधी लाभ के लिए अधिकार-मातृत्व लाभ कामकाजी महिलाओं के लिए सिर्फ सुविधा नही बल्कि ये उनका अधिकार है, मातृत्व लाभ अधिनियम के तहत एक नई माँ के प्रसव के बाद 12 सप्ताह (तीन महीने) तक महिला के वेतन में कोई कटौती नहीं की जाती और वो फिर से काम शुरू कर सकती है।

5-कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार-भारत के हर नागरिक का ये कर्तव्य है कि वो एक महिला को उसके मूल अधिकार जीने के अधिकार का अनुभव करने दें, गर्भाधान और प्रसव के पूर्व पहचान करने की तकनीकी (लिंग चयन पर रोक) अधिनियम कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार देता है।

6- मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार-बलात्कार की शिकार हुई किसी भी महिला को मुफ्त कानूनी मदद पाने का पूरा अधिकार है, स्टेशन हाऊस आफिसर के लिए ये जरूरी है कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए सूचित करे। 7-गरिमा एवं शालीनता से जीने का अधिकार-किसी मामले में अगर आरोपी एक महिला है तो उस पर की जाने वाली कोई भी चिकित्सा जाँच प्रक्रिया किसी महिला द्वारा या किसी दूसरी महिला की उपस्थिति में ही की जानी चाहिए।

8-संपत्ति का अधिकार-हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत नए नियमों के आधार पर पुश्तैनी सम्पत्ति पर महिला एवं पुरूष दोनो का बराबर हक है आदि के बारे में जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं के प्रश्नों के समाधान किया गया।

कार्यक्रम में पराविधिक स्वंय द्वारा महिला विधिक जानकारी संबंधित पत्रिका, पम्पलेट बांटे गये। जिसमें महिला विधिक जानकारी हेतु हेल्पलाईन नम्बर भी लिखे हुए थे।

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