अंबेडकर नगर। जिलाधिकारी अविनाश सिंह द्वारा तहसील आलापुर तथा विकासखंड जहांगीरगंज के अंतर्गत ग्राम पंचायत ऐनवा स्थित तालाब का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान अवगत कराया गया कि 50 लाख का यह प्रोजेक्ट है जिसमें 20 लाख सरकार द्वारा अनुदान दिया गया है। इसमें एक बार में 40 हजार मछली के बच्चे छोड़े जाते हैं। हर चार माह में मछली तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार वर्ष में तीन बार इसका उत्पादन किया जा सकता है। एक बार में लगभग दो लाख की बचत होती है। यह तालाब लगभग 20 बिस्वा में फैला हुआ है। जिलाधिकारी द्वारा मत्स्य पट्टा अतिशीघ्र नीलामी द्वारा आवंटन कराने के निर्देश दिए गए। साथ ही साथ स्वयं सहायता समूह को आवंटित करने के लिए कहा गया। जनपद में मछली की पर्याप्त खपत है। यहां पर पड़ोसी जनपद सहित आंध्र प्रदेश से भी मछली मंगाई जाती है। जिलाधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद में मछली की खपत के साथ-साथ अन्य जनपदों में भी उत्पादन को बढ़ाकर पूर्ति की जा सकती है और इससे जनपद की आय के साथ-साथ रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की असीम संभावना है। जनपद में उपलब्ध सरकारी तालाबों में से आधे से अधिक तालाबों का नीलामी द्वारा आवंटन कराया जाना है, जिससे प्रदेश सरकार की आय में बढ़ोतरी होगी। साथ ही साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
पी०एम०एम०एस०वाई० योजनान्तर्गत रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना के अन्तर्गत किये गये कार्य रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना के अन्तर्गत 25×25 फुट के आठ टैंक शेड सहित क्योफिल्टर, बोरिंग जनरेटर आक्सीजन के लिए ब्लोवर, स्टोर, लैब आदि निर्माण कार्य कराये गये।
रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना के उपरान्त समय-समय पर इन्हें मत्स्य विभाग द्वारा टेक्निकल गाइडेंश भी मिलता रहा। इनके द्वारा पूरी मेहनत एवं लगन के साथ तय सीमा के अन्दर ही रिसकुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम का पूरा निर्माण कार्य करा कर संचालित भी किया गया। इनकी पहली प्रोडक्शन साइकिल वर्ष 2021-22 में शुरू हुई जहाँ इन्होने मानक के अनुरूप पंगेशियस के 18000 मत्स्य बीज का संचय कर 08-10 महीनों के कल्चर समय से कुल 32 टन मछली का उत्पादन किया गया तथा आय में वृद्धि भी दिखाई देने लगी। वर्ष 2021-22 में इनके द्वारा कुल 32 टन मछली का उत्पादन किया गया। उत्पादन में वृद्धि से आय में भी बढोत्तरी हुई। द्वितीय वर्ष 2022-23 में सेकंड कल्चर पीरियड स्टार्ट किया गया है एवं 32000 मत्स्य बीज संचय किया गया है।
रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना एवं मत्स्य पालन की आय से अगल-बगल गाँव के लोगों ने भी मत्स्य पालन का कार्य प्रारम्भ कर दिया है लोग इनसे काफी प्रभावित मी है. इनके रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम की स्थापना से अन्य लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम से प्रथम वर्ष में ही 6-7 लाख की शुद्ध आय प्राप्त हो रहा है। भारत सरकार के किसानों की आय दोगुना करने एवं समावेशी विकास इनका महत्तवपूर्ण योगदान है। 0.25 हे० मे तीन कच्चे तालाब निर्माण करा कर इण्डियन मेजर कार्प (रोहू भाकुर नैन) का भी उत्पादन किया जा रहा है। इनके द्वारा घर परिवार एवं आस पास के बेरोजगार युवाओं को भी प्रेरित किया गया उन सबको रोजगार दिलाया।