Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या भावनात्मक बुद्धिमत्ता से दूर होती अनावश्यक चिंता

भावनात्मक बुद्धिमत्ता से दूर होती अनावश्यक चिंता

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अयोध्या। बोर्ड परीक्षा की आहट से घबराहट होना एक हद तक तो सामान्य होता है परन्तु यह घबराहट यदि इस स्थिति तक बढ़ जाये कि खुद को संभालना मुश्किल होने लगे तो यह स्थिति एक मनोविकार का रूप हो सकती है जिसे पैनिक एंग्जाइटी या एंग्जायटी  डिसऑर्डर कहा जाता है। घबराहट, बेचैनी, हताशा, चिड़चिड़ापन, दिल की धड़कन बढ़ना,  बुरे ख्याल आना , मौत का खौफ महसूस होना, हार्ट अटैक का भय, मुंह सूखना, सांस का तेज़ चलना, सर दर्द, आवाज़ बैठना, नींद मे चौंककर उठना, शारीरिक व मानसिक थकान जैसे लक्षण इसमें दिखायी पड़ सकतें हैं। उन छात्रों में  यह लक्षण  ज्यादा दिखाई पड़ते हैं जिनका इमोशनल-क्वोशेन्ट या ई- क्यू कम होता हैं। ऐसे छात्र चिंतालु या लापरवाह व्यक्तित्व के होते हैं। यह बातें डा. आलोक मनदर्शन ने उदया पब्लिक स्कूल में आयोजित एग्जाम एंग्जायटी एंड पर्सनालिटी टाइप विषयक कार्यशाला में कही।

बचावः  चिंतालु व लापरवाह व्यक्तित्व के प्रति सतर्क रहें तथा इमोशनल इंटेलीजेंस या भावनात्मक बुद्धिमता से नकारात्मक मनोभावों से दूरी बनाते हुए मनोस्वास्थ्य पे फोकस करें। परफॉर्मेंस बेहतर उन्ही का होता है जो इमोशनली इंटेलीजेंस होते हैं। कार्य या अध्ययन के बीच छोटे ब्रेक लेकर मनोरंजक गतिविधियों का भी पूरा आनन्द ले तथा तरल  पदार्थो का सेवन करते रहें। छः से आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य ले। नकारात्मक व तुलनात्मक स्वआंकलन न करे एवं एैसा करने वाले तथा अतिअपेक्षित वातावरण बनाने वाले परिजनों के दबाव से बचें। इससे स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसोल में कमी आती है तथा हैप्पी हॉर्मोन सेरोटोनिन व डोपामिन बढ़ता है। घबराहट ज्यादा बनी रहने पर मनो विशेषज्ञ से परामर्श ले। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीवेन्द्र सिंह तथा संयोजन निधि सिन्हा ने किया।

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