अयोध्या। चिरंजीव हॉस्पिटल एवं नर्सिंग इंस्टीट्यूट में आयोजित मनोशारीरिक बीमारियां विषयक कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा. आलोक मनदर्शन ने बताया कि लगभग 90 फीसदी मनोतनाव जनित समस्याओ का अज्ञानता व संकोच के कारण मनोविशेषज्ञ से सलाह न ले पाने की वजह से सटीक इलाज़ नही हो पाता है। इसी मद्देनज़र इंटरनेशनल स्ट्रेस मैनेजमेंट एसोसिएशन ने इस वर्ष की थीम का नाम संकोच से सलाह की ओर रखा है । बढ़ता मनोसन्ताप युवाओं में तेजी से बढ़ रहे मनोशारीरिक बीमारियों या साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर का कारण भी बनता जा रहा है। इनके लक्षण तो शारीरिक होते हैं पर उसका मूल कारण मेन्टल स्ट्रेस या मनोतनाव होता है। पाचन क्रिया से लेकर हृदय की धड़कन तक शरीर की हर एक कार्यप्रणाली इससे दुष्प्रभावित होती है। मनोवैज्ञानिक उपचार के बिना इनका स्थायी इलाज नही हो सकता। युवाओं में तेजी से बढ़ता मधुमेह, उच्चरक्तचाप व हृदयघात से मौत इसकी बानगी है। मेन्टल स्ट्रेस से कार्टिसाल व एड्रेनिल हॉर्मोन बढ़ जाता है जिससे चिंता, घबराहट, एडिक्टिव इटिंग,आलस्य, मोटापा , अनिद्रा व नशे की घातक स्थिति पैदा हो सकती है।