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समाजसेवी को गुंडा एक्ट में पाबंद करने के थानाध्यक्ष के षड्यंत्र की खुली पोल

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◆ थाना अध्यक्ष रहते श्रीनिवास पांडे की कार्यशैली पर उठ रहे हैं और कई सवाल


अंबेडकर नगर। तत्कालीन थाना अध्यक्ष के द्वारा द्वेषपूर्ण भावना से समाजसेवी को गुंडा एक्ट में पाबंद किए जाने के रवैए को न्यायालय ने झटका दे दिया है। बसखारी थाना अध्यक्ष रहते हुऐ श्रीनिवास पांडेय ने द्वेष पूर्ण रवैया के कारण कई बार चर्चाओं में भी रहे हैं। क्षेत्र में व्याप्त इनकी द्वेषपूर्ण कार्यशैली को लेकर कई बार उच्चाधिकारियों एवं प्रभारी मंत्री से इनकी शिकायतें भी स्थानीय लोगों एवं भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा की गई। लेकिन सत्ता पक्ष के नेताओं की आपसी गुटबाजी के चलते एवं उच्च अधिकारियों को गुमराह कर ये बचते रहे। बसखारी थाना अध्यक्ष रहते श्रीनिवास पांडेय की कार्यशैली को लेकर एक मामला विगत जिला पंचायत चुनाव के दौरान सामने आया था,जिसमें तत्कालीन बसखारी थाना अध्यक्ष रहते श्रीनिवास पाण्डेय के द्वारा एक समाजसेवी एवं भाजपा कार्यकर्ता को द्वेषपूर्ण एवं राजनीतिक भावना से ग्रसित होकर गुंडा एक्ट एवं जिला बदर करने की कार्रवाई करने का प्रयास किया गया था। इस प्रयास में कथित कुछ भाजपा नेताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी योगदान बताया जा रहा है। जो थानाध्यक्ष के साथ मिलकर एक कूटरचित प्रयास करते हुए इस सामाजिक कार्यकर्ता को गुंडा एवं अपराधी बनाने पर तुले हुए थे। लेकिन पुलिस के अत्याचार एवं कथित नेताओं की कूट रचना को भांपकर युवा भाजपा नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता ओमकार ने न्यायालय की शरण ली और अपना पक्ष रखा। तत्कालीन थाना अध्यक्ष श्रीनिवास पाण्डेय के द्वारा जिस मुकदमे को आधार बनाकर सामाजिक कार्यकर्ता ओमकार गुप्ता के ऊपर गुंडा एक्ट एवं जिला बदर करने की कार्रवाई के लिए न्यायालय में आख्या प्रस्तुत की थी। उस मुकदमे में 20 जनवरी 2023 को ओमकार गुप्ता को न्यायालय से क्लीन चिट मिल चुकी थी। ऐसे में थानाध्यक्ष श्रीनिवास पाण्डेय के द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता के ऊपर गुंडा एक्ट एवं जिलाबदर करने के प्रयास को भी झटका लगना तय हो गया था। और न्यायालय ने 13 फरवरी 2023 को एक आदेश पारित करते हुए गुंडा एक्ट वा जिला बदर करने की कार्रवाई को भी निरस्त कर दिया। न्यायालय से समाजसेवी को क्लीन चिट मिलने के बाद बसखारी सहित  विभिन्न थाना क्षेत्रों में थाना अध्यक्ष रहते श्रीनिवास पांडेय द्वारा किए गए एक हाफ एनकाउंटर सहित कई वर्कआउट और दर्ज किए गए मुकदमे पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। चर्चा यह भी है कि ओमकार गुप्ता की पहचान एक समाजसेवी एवं कार्यकर्ताओं की लड़ाई लड़ने वाले कर्मठ भाजपा कार्यकर्ता के रूप में होने के बावजूद भी इन्हें फसाने के लिए जब थाना अध्यक्ष श्रीनिवास पांडेय ने द्वेषपूर्ण भावना से कार्रवाई की,तो ऐसे कितने और बेकसूर होंगे जो इनके कारनामे के कारण जेल की सलाखों के पीछे होंगे। यदि श्रीनिवास पाण्डेय के विभिन्न थानों में थाना अध्यक्ष रहते इनके द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे एवं किए गए वर्कआउट की जांच कराई जाए तो इनके कारनामों से पर्दा उठ सकता है,और कई बेकसूरों को राहत भी मिल सकती है।

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