◆ कंपाउन्ड के बजाए रिकर्व प्रतियोगिता को लेकर जोर देने के विषय पर हुई चर्चा
◆ रिकर्व व कंपाउन्ड है धनुष के प्रकार, ओलंपिक में रिकर्व प्रतियोगिता ही मान्य
अयोध्या। भारत को खेलों में नंबर एक बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 2024 के ओलंपिक खेलों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। कोच कंपाउन्ड के बजाए रिकर्व की प्रतियोगिता पर जोर दें। रिकर्व प्रतियोगिता ओलांपिक में होती है। उक्त बातें भारतीय तीरंदाजी संघ के महासचिव प्रमोद चंद्रूलकर ने कही। वह राष्ट्रीय सीनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता के दौरान विभिन्न राज्यों के खेल संघों के अध्यक्ष व सचिव और कोचों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे। रिकर्व व कंपाउन्ड धनुष के प्रकार है। ओलंपिक में रिकर्व प्रतियोगिता ही मान्य है।
उत्तर प्रदेश तीरंदाजी संघ के अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि तीरंदाजी संघों को कोच संख्या बढ़ानी चाहिए, ताकि खिलाड़ियों पर ठीक से ध्यान दिया जा सके। उदयीमान युवा खिलाड़ियों की प्रतिभा की निखारने पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि वही भविष्य हैं। प्रदेश तीरंदाजी संघ के महासचिव अजय गुप्ता ने कहा कि तीरंदाजी अनुशासन का खेल है। विश्व में भारतीय तीरंदाजों के अनुशासन की प्रशंसा हो रही है। हमें रिकर्व पर फोकस कर ओलंपिक में भी पदकों की धूम मचानी है।