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समन्वय व सामंजस्य की कमी के साथ मिल्कीपुर साधने की कोशिश में भाजपा

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मुख्यमंत्री संग बैठक में आपेक्षित से आधी रही नेताओं की उपस्थिति


अयोध्या। पदाधिकारियों में आपसी समन्वय के आधार पर भारतीय जनता पार्टी एक मजबूत तथा जमीनी स्तर तक संगठन होने का दावा करती है। बैठकों में नेताओं द्वारा बूथ से लेकर जिले तक के पदाधिकारियों में आपसी समन्वय स्थापित करने के लिए लगातार कहा जाता है। हर घर हर मतदाता से सम्पर्क की बातें की जाती है। लेकिन मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर हुई बैठक में आपेक्षित कार्यकर्ताओं में से आधी संख्या की उपस्थिति ने भाजपा में आपसी कलह व गुटबाजी को एक बार फिर हवा दे दी है।


आपेक्षित थे 307 उपस्थित रही आधी से भी कम


मुख्यमंत्री की बैठक में कुल 307 लोग आपेक्षित थे। जिनमें मिल्कीपुर विधान सभा से जुड़े नेताओं के साथ पांच मंडलों के प्रभारी, प्रवासी, अध्यक्ष, 61 शक्ति केन्द्रों के संयोजक, प्रभारी व प्रवासी के साथ जनप्रतिनिधि तथा पूर्व जनप्रतिनिधि भी आपेक्षित थे। लेकिन एक पदाधिकारी के अनुसार बैठक में 125 से 150 कार्यकर्ता ही उपस्थित थे। उपस्थिति कम होने का कारण संवादहीनता या फिर सांगठनिक शिथिलता है। बैठक की सूचना नही दी जा सकी। भाजपा के कई नेताओं ने बैठक में आमंत्रण न होने की बात कही है। एक पूर्व जिलाध्यक्ष ने बताया कि संवाद हीनता के कारण कई पदाधिकारियों को सूचना नही मिल पाई। जिससे उपस्थिति कम रही।


उपचुनाव की बागडोर स्वंय संभाले हुए है मुख्यमंत्री


मिल्कीपुर उपचुनाव को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री लगातार जनपद का दौरा कर रहें। प्रभारी मंत्री समेत सरकार के चार मंत्री लगातार विधान सभा में डेरा डाले हुए हैं। उपचुनाव को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रहें है। गुरूवार को मिल्कीपुर विधान सभा का यह दूसरा दौरा था। जनसभा में सपा पर काफी आक्रामक रहे। जनसभा के दौरान उन्होंने मिल्कीपुर की 4975.06 लाख की 40 परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास किया। उपचुनाव की बागडोर स्वंय मुख्यमंत्री संभाले हुए है।
बैठक में आमंत्रण की सूचना न मिलने को भाजपा नेताओं के समर्थक प्रतिष्ठा से जोड़ कर देख रहे हैं। नेताओं के सर्मथकों में इसे लेकर रोष है। सर्मथकों का यही रोष कहीं उपचुनाव में भारी न पड़ जाए।

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