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भगवत कथा में उमड़े श्रोता,भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुन हुए भाव विभोर

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बसखारी अंबेडकर नगर। बसखारी के भटपुरवा  में चल रही भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास आचार्य अनूप बाजपाई महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए बलि की पुत्री राजकन्या के उद्धार की कहानी को बताया। उन्होंने बताया कि राजा बलि के यहां जब भगवान वामन अवतार में दान मांगने गए थे तो उनकी पुत्री राजकन्या उन्हें देखकर अपने पुत्र के रूप में मन नहीं मन पाने की इच्छा रखते हुए वक्षस्थल को पिलाने की कामना की। तभी भगवान वामन अपने पूर्ण रूप में आ गये जिससे वह क्रोधित होकर कही कि अगर मेरा पुत्र होता तो मैं इसे दूध की जगह जहर पिलाती भगवान ने उसकी इच्छा पूरी करने के लिए उसे अगले जन्म में राक्षशी होने का श्राप दे दिया।इस श्रप से मुक्ति देने के लिए भगवान ने नया खेल रचा। भगवान पालने में खेल रहे थे नंद बाबा के घर उत्सव मनाया जा रहा था। यशोदा मां की सखियों ने भगवान को बैलगाड़ी के पास पालने में सुला दिया। उसी समय पूतना नाम की राक्षसी भगवान को विषपान करा कर मारना चाहती थी कि भगवान ने उसका विषपान करते हुए उसका उद्धार किया। अपनी बाल लीला में भगवान ने कंस द्वारा भेजे गए कई राक्षसों का उद्धार किया। अंत में कंस द्वारका में मेले का आयोजन करते हुए भगवान को बुलावा भिजवाया। भगवान ग्वाल बालों के साथ मथुरा पहुंचकर कैवल्य पीठ नामक राक्षस का वध करते हैं।अंत में कंस का भी उद्धार करते हैं। कथा के अंतिम चरण में रुक्मणी विवाह का वर्णन करते हुए रुक्मणी और कृष्ण विवाह की बहुत सुंदर झांकी निकाली गई। जिसकी दर्शकों ने खूब प्रशंसा किया। इस अवसर पर विवेकानंद उपाध्याय, जगदंबा प्रसाद त्रिपाठी, सत्य प्रकाश मिश्रा, बृजेश तिवारी,अनिल तिवारी, अतुल तिवारी, रमाशंकर, विपिन तिवारी ,चंद्रभूषण, रवि कन्नौजिया सहित अन्य  धर्म प्रेमी जन मौजूद रहे।

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