◆ शासन को भेजा जा रहा है डीपीआर, दो करोड़ रुपये की है योजना
अयोध्या। पर्यटन के नजरिए से अयोध्या शहर को ही नहीं बल्कि जिले के आस-पास के इलाके को विकसित करने की कवायद शुरू हो गई है। इसी कड़ी में जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर समदा झील को भी संवारने का काम चल रहा है। वैटलैंड होने के कारण झील में बाहरी पक्षियों को रोकने के लिए एक सेंटर का निर्माण कराया जाएगा। इसके अलावा झील को देखने के लिए पहुंचने वाले लोगों को पक्षियों की जानकारी दी जा सके इसके लिए एक और केंद्र के निर्माण पर विचार चल रहा है। साथ ही झील की ट्रिप पर फन बढ़ाने के लिए एक कैफेटेरिया भी खोला जाएगा। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने इसका पूरा प्लान तैयार कर लिया है।
सोहावल तहसील में एक पौराणिक झील है। बताया जाता है कि यह प्रभु श्रीराम के समय से है। कालांतर में समदा नदी तो सूख गई, लेकिन कुछ अवशेष के रूप में झील रह गई। यह भी लंबे समय से उपेक्षित थी। अब योगी सरकार इसका जीर्णोद्धार करा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ की कोशिश है कि अयोध्या से जुड़े पौराणिक स्थल गौरवशाली अतीत के साथ समृद्धशाली वर्तमान की कहानी सुनाएं। सरकार की ऐसी ही प्राथमिकता में शामिल समदा झील के दिन भी जल्द ही बहुरेंगे।
67 एकड़ में फैली है समदा झील
समदा झील आम जनमानस से जुड़े कार्यों को रफ्तार देने के लिए योगी सरकार विकास को नया अमलीजामा पहना रही है। ग्राम पंचायत कोला भिटौरा मोइयाकपुर सहित तीन ग्राम पंचायतों में 67 एकड़ में फैली समदा सबसे बड़ी झील है। इसका जीर्णोद्धार तेजी से कराया जा रहा है। इस झील के जीर्णोद्धार को लेकर जिला प्रशासन 2017 के पहले भी प्रयास कर चुका है, लेकिन लाखों खर्च करने के बावजूद भी हालात नहीं बदले। जब सूबे में योगी सरकार आई तो प्रयत्न किए गए कि यहां की पौराणिकता को वर्तमान पीढ़ी जाने।
दो करोड़ रुपये की है योजना
अयोध्या विकास प्रािधकरण के उपाध्यक्ष अश्विनी पांडेय ने बताया कि इस झील की विशेषता यह भी है कि यहां स्थानीय पक्षियों के साथ प्रवासी पक्षियों (साइबेरियन, ऑस्ट्रेलियन व नेपाली) का भी जमावड़ा देखा जाता है। आसपास के जनपदों के लोग यहां के विहंगम दृश्य को देखने के लिए पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो झील के कायाकल्प के बाद यहां पक्षियों के लिए भी सुरक्षा का माहौल तैयार हो जाएगा। हाल ही में दो करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है, जिसमें पक्षियों के लिए सेंटर, जानकारी देने के लिए केंद्र व कैफेटेरिया शामिल है। इसका डीपीआर शासन को भेज जा रहा है। मंजूरी मिलते ही कार्य शुरू कराया जाएगा।