Friday, November 22, 2024
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1996 से 2022 विधान सभा तक के चुनाव में तीसरी बार होगा मिल्कीपुर में उप चुनाव

Ayodhya Samachar


◆ 1998 तथा 2004 में हुए उपचुनाव में सपा मिली थी सफलता


@ विनोद तिवारी


अयोध्या । वर्ष 1996 से 2022 तक मिल्कीपुर विधान सभा के छः विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें चार बार सपा तथा एक-एक बार बसपा तथा भाजपा ने जीत दर्ज की है। विधान सभा के दो उपचुनाव में सपा प्रत्याशी रामचन्दर यादव ने 1998 तथा 2004 में चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे। पिछले छः सामान्य चुनाव व दो उपचुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा में सपा का दबदबा रहा।

वर्ष 2007 के चुनाव में रामचन्दर यादव ने सपा से चुनाव लड़ा। लेकिन बसपा से चुनाव मैदान में उतरे आनंद सेन यादव ने उन्हें हरा दिया। तत्कालीन बसपा सरकार प्रदेश में आनन्द सेन यादव को खाद्य एवं रसद विभाग का मंत्री बनाया गया। 2012 के चुनाव में मिल्कीपुर विधानसभा सीट को सुरक्षित घोषित कर दिया। रामचंद्र यादव मिल्कीपुर विधानसभा और सपा पार्टी छोड़ कर रुदौली विधानसभा से भाजपा का झंडा थाम कर चुनाव मैदान में उतरे और अपनी जीत दर्ज करा लिया। वर्ष 2012, 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में रुदौली विधान सभा से लगातार तीनों बार रामचंद्र यादव चुनाव जीत कर विधायक बने।

 6 बार के हुए सामान्य विधानसभा चुनाव में दो बार उप चुनाव हुआ। जिसमें चार सामान्य चुनाव तथा दो उपचुनाव में समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा। वर्ष 2007 में बसपा से आनंद सेन यादव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से गोरखनाथ बाबा ने जीत दर्ज की।

2014 के लोकसभा चुनाव में केंद्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बागडोर संभाली। उत्तर प्रदेश में राम मंदिर और हिंदुत्व का मुद्दा भाजपा ने जोर शोर से उठाया और प्रदेश में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र की पांचो विधानसभा सीट अयोध्या, गोसाईगंज, बीकापुर, रुदौली और मिल्कीपुर पर भाजपा ने जीत दर्ज की। 2022 के विधानसभा चुनाव में गोसाईगंज और मिल्कीपुर विधानसभा सीट बीजेपी हार गई दोनों सीट पर सपा ने पुनः अपना कब्जा जमाया।
2024 के लोकसभा चुनाव में मिल्कीपुर से सपा विधायक अवधेश प्रसाद सपा ने भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को करीब 55 हजार मतों से पराजित किया। मिल्कीपुर में भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को 88819 व सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को 95612 मत मिले। जिसमें 6793 अंतर रहा।
वर्तमान में मिल्कीपुर तहसील से मिले आंकड़ों के अनुसार विधान सभा क्षेत्र में कुल तीन लाख सड़सठ हजार तीन सौ अडतालीस (367348) मतदाता है जिसमें पुरुष 190955 और महिला 176387 मतदाता सूची में दर्ज हैं। 80 वर्ष की आयु सीमा से अधिक करीब छह हजार से अधिक मतदाता हैं।


1996 से 2022 के विधान सभा चुनाव का जानें वोट प्रतिशत


1996 : सपा प्रत्याशी मित्रसेन ने 40 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की।


2002 : सपा प्रत्याशी आनंद सेन ने 40 प्रतिशत वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की।


2007 : बसपा प्रत्याशी आनंदसेन यादव विजयी रहे उन्हें लगभग 41 प्रतिशत वोट मिला।


2012 : में सुरक्षित सीट घोषित होने के बाद सपा के अवधेश प्रसाद विजयी रहे उन्हें लगभग 42 प्रतिशत वोट मिला।


2017 : भाजपा प्रत्याशी गोरखनाथ जीती लगभग विजयी रहे उन्हें लगभग 44 प्रतिशत वोट मिला।


2022 : सपा के अवधेश प्रसाद विजयी रहे उन्हें लगभग 48 प्रतिशत वोट मिला।


1996 से 2022 तक के विधान सभा चुनाव में सपा का करीब 8 प्रतिशत वोट बढ़ा।


वर्तमान में अनुमानित जातीय समीकरण


ब्राह्मण- 105000
पासी- 60 हजार
यादव- 60 हजार
कोरी- 35 हजार

चमार- 15 हजार
मुस्लिम- 35 हजार
वैश्य-10 हजार
क्षत्रिय- 17 हजार
चौरसिया- 8 हजार
निषाद- 7 हजार
अन्य पिछड़ा- 15 हजार से अधिक


मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा सीट रिक्त होने की वजह से इस सीट पर उपचुनाव की सरगर्मियां तेज हैं। बसपा ने रामगोपाल कोरी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। सपा से भी अवधेश प्रसाद के बड़े पुत्र अजीत प्रसाद का टिकट लगभग फाइनल माना जा रहा है। केवल आधिकारिक घोषणा बाकी है। वहीं भाजपा से 24 पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने आवेदन किया है। उपचुनाव को भाजपा गंभीरता से ले रही है। सीएम योगी ने भी दो बार विधानसभा में आ चुके हैं। भाजपा प्रत्याशी की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं करना चाहती है।
विधानसभा में ब्राह्मणों की संख्या अधिक है। वर्तमान में भाजपा में जनपद में कोई ब्राह्मण नेता न होने के कारण उप चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता हैं जो कि यह अपने में निर्णायक वोट हैं। छुट्टा जानवर किसानों के लिए बड़ी समस्या है यदि जल्द इसका समाधान हो गया और किसी क्षेत्रीय को भाजपा टिकट देती हैं तो भाजपा चुनाव जीत सकती है। वर्ष 2012 के चुनाव से लगातार अन्य विधान सभा का ही प्रत्याशी चुनाव जीत रहा है। इस बार के उप चुनाव में जनता केवल क्षेत्रीय प्रत्यासी को जिताने का मुड़ बना चुकी हैं वह किसी भी दल का क्यों न हों ऐसी चर्चा जोरों पर चल रही हैं।

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