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भाजपाई विकास माडल के साथ अपराधियों पर जीरो टारलेंस की नीति पर तो विपक्षी पार्टिया सरकार की नाकामी गिना कर मांग रही है वोट

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◆ क्षेत्र के विकास का मुद्दा सबकी प्रथामिकता में हैं शामिल


@ सुभाष गुप्ता


अंबेडकर नगर। नगर निकाय चुनाव की तिथि नजदीक आते ही प्रत्याशियों एवं उनके समर्थकों ने चुनाव प्रचार अभियान को तेज कर दिया है। नगर निकाय का चुनाव सिंबल पर होने के कारण प्रत्येक सीट पर हार जीत प्रत्याशियों के साथ-साथ राजनीतिक पार्टियों के लिए भी चुनौती बन गई है। 2024 में लोकसभा का चुनाव है‌,और 2023 में होने वाला निकाय चुनाव उस चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियां नगर निकाय चुनाव की अधिकतर सीटों पर अपना कब्जा जमाने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है।

इस चुनाव में जहां भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी व कार्यकर्ता भय व अपराध मुक्त समाज के लिए अपराधियों की राजनीति में दखलअंदाजी रोकने एवं भारतीय जनता पार्टी की केंद्र व प्रदेश सरकार के द्वारा चलाई जा रही जन कल्याण योजनाओं को बताकर मतदाताओं को अपने पाले में करने का प्रयास कर रहे हैं। तो वही समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी सरकार की नाकामियों को उजागर कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के प्रयास में लगी हुई है।

अगर हम 2017 में हुए जनपद के नगर निकाय चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में जनपद की सबसे महत्वपूर्ण सीट अकबरपुर नगर पालिका रही, जिस पर भारतीय जनता पार्टी की सरिता गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। अन्य 4 सीटों पर उसे हार का सामना करना पड़ा था। उस समय भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश में सरकार बने कुछ ही महीने हुए थे। लेकिन इस बार परिस्थितियां बदली हैं। भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश एवं केन्द्र में दोबारा पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है। जिसका मनोवैज्ञानिक लाभ प्रत्याशी एवं भाजपा कार्यकर्ताओं लेने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है।साथ ही भाजपा सरकार के द्वारा जन हित में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओ से ज्यादा भाजपा सरकार के द्वारा अपराधियों को लेकर अपनाई गई जीरो टॉलरेंस की नीति को भी मुद्दा बना रहे हैं।

भाजपा समर्थकों का कहना है कि इस बार के चुनाव में विकास तो मुद्दा रहेगा ही लेकिन साथ ही जनता नगर निकाय के चुनाव में अपराधीकरण को रोकने के लिए भी दिलचस्पी दिखा रही है। तो वहीं सपा बसपा के साथ कई अन्य छोटे दल व निर्दलीय प्रत्याशी अपनी टक्कर भारतीय जनता पार्टी से मानते हुए विकास के मुद्दे के साथ सरकार की नाकामियों को मुद्दा बना मतदाताओं को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए सक्रिय हैं। पिछले नगर निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अकबरपुर नगर पालिका की सीट पर जीत हासिल की थी। तो वही जलालपुर इल्तिफातगंज गंज की सीट बसपा के कब्जे में है। टांडा सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपना परचम फहराया था।तो नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शबाना खातून ने जीत दर्ज की थी। वही कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों के बारे में चर्चा है कि कुछ प्रत्याशी अपनी जीत को आसान करने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों को वोट काटने के लिए चुनावी मैदान में उतारकर अपनी जीत की राह आसान करने की रणनीति में लगे हुए हैं।


पिछली बार पांच तो इस बार सात नगर निकाय क्षेत्रों में होगा चेयरमैन और सभासदों का चुनाव


पिछले नगर निकाय चुनाव की अपेक्षा जनपद में हो रहे इस नगर निकाय चुनाव क्षेत्रों में भी परिवर्तन हुआ है।2017 में जहां नगर निकाय चुनाव में अकबर पुर,टांडा ,जलालपुर नगर पालिका की तीन व नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा व इल्तिफातगंज सहित नगर पंचायत क्षेत्र की दो सीटें थी। वहीं इस बार राजेसुलतानपुर व जहांगीरगंज नगर पंचायत क्षेत्र की दो सीटें नवसृजित होने के कारण इस बार नगर निकाय चुनाव में मे कुल सात चेयरमैन जनपद में चुने जाएंगे।


बगावती भी बिगाड़ रहे हैं राजनीतिक पार्टियों के खेल


इस बार का भी नगर निकाय चुनाव पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से अछूता नहीं है। सपा बसपा से जहां सीधे बगावत कर कई लोग चुनावी मैदान में हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी भी भितरघात के संकट से अछूती नहीं है। अन्य पार्टियों की तरह इस पार्टी में भी दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर चलाने वाली कहावत चरितार्थ हो रही हैं। हालांकि तीनों राजनीतिक पार्टियों के चुनाव संचालन समिति में रहने वाले वरिष्ठ नेताओं की माने तो पार्टी के अंदर रहकर भीतर घात करने वाले नेताओं को समझा बुझाकर पार्टी के हित में कार्य करने के लिए मना लिया गया है। फिलहाल पार्टी में बगावत समाप्त करने की बात सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता कर रहे हैं। लेकिन इसका पार्टी कार्यकर्ताओं कितना असर हुआ है। आने वाले 13 मई को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।

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