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पत्रकार के छोटे भाई के आकस्मिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर

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बसखारी अंबेडकर नगर। पत्रकार के छोटे भाई के आकस्मिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।मौत की खबर सुनने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े हुए लोग, पत्रकार,व क्षेत्रीय लोगों ने पत्रकार के घर व महादेवा घाट पहुंचकर परिवार को ढांढस बंधाया।और गहरी शोक संवेदना व्यक्त की। मिली जानकारी के अनुसार अमर उजाला के पत्रकार अरविंद त्रिपाठी के छोटे भाई विनीत उर्फ मन्टू उम्र लगभग 35 वर्ष अपनी भंजी को बीएड का पेपर दिलाने बड़ागांव जलालपुर गए हुए थे। पेपर शुरू होने के बाद मन्टू एक बाग में पेड़ की छांव में लेट गया और उन्हें नींद आ गई इसी बीच किसी जहरीले जंतु ने हाथ की उंगली में काट लिया। जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो  सूचना पाकर मौके पर पहुंचे अनिल कुमार त्रिपाठी ने अपने भाई को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, जहां पर रात 12:00 बजे के करीब उनकी मौत हो गई। वहीं मौत की खबर सुनकर परिवार में कोहराम मच गया और क्षेत्रीय लोग भी आवाक रह गए। पोस्टमार्टम के बाद  शव उनके पैतृक आवास बजदहिया पाईपुर लाया गया। इसके बाद शुक्रवार को ही महादेवा घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। आकस्मिक निधन सुनकर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष मिथलेश त्रिपाठी, ब्लॉक प्रमुख संजय सिंह, नगर पंचायत अशरफपुर किछौछा चेयरमैन ओमकार गुप्ता ,दिनेश पांडे, नारद विश्वकर्मा, संकठा प्रसाद मिश्र, बसपा नेता पवन मौर्या, अमर उजाला के ब्यूरो चीफ अश्विनी कुमार मिश्र, उपज के जिला अध्यक्ष सुभाष गुप्ता, निवर्तमान महामंत्री अरुण कुमार मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार बचुली मिश्र,रण बिजय तिवारी,अरूण सिंह,मनोज मद्धेशिया,  दिलीप सोनी, राहुल शर्मा,सत्येंद्र यादव, चंद्र मौर्या,डा अनिल मौर्या, वसीम अहमद, आनंद सहित काफी संख्या में क्षेत्रीय लोग अंतिम संस्कार में शामिल हुए। और मृतक के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।


मंटू की अचानक मौत की खबर सुनकर परिवार पर टूट पड़ा ब्रजपात


मंटू की मौत की खबर सुनकर 34 वर्षीय  पत्नी बार-बार बेसुध होकर गिर रही थी। और इनके चार  छोटे-छोटे बच्चे थे। बड़ी पुत्री 12 वर्षीय प्रतिष्ठा, दुसरी पुत्री 10 वर्षीय स्वेच्छा व पुत्र 6 वर्षीय शिवा का रो रो कर बुरा हाल था। जबकि 9 महीने का एक अबोध बच्चे को देखकर शोक संवेदना करने प्रकट करने वाले लोगों की आंखों में बरबस आंसू छलक पड़ रहे थे। परिवार की जिम्मेदारी संम्भले पत्रकार अरबिन्द त्रिपाठी बार बार बेसुध हो रहे थे।

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