अयोध्या। राजा मोहन पी जी कॉलेज में राष्ट्रीय युवा-दिवस संदर्भित मनोसंवर्धन कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कहा कि विवेकानंद ने युवाओं मे आत्ममुग्धता से जागरण व लक्ष्य भेदन की मनोप्रेरणा का संचार किया। माइंडफुलनेस व मेडिटेशन से युवा मनोसंवर्धन के प्रतिपादक स्वामी विवेकानन्द का जन्म दिवस राष्ट्रीय युवा-दिवस के रूप मे युवा मनो-परिमार्जन का प्रतीक है।
ध्यान या मेडीटेशन ऐसी प्रक्रिया है जिससे ब्रेन की बैटरी रिचार्ज होती है और रोजमर्रा के स्ट्रेस डिलीट होते हैं। मनोदशाएं विभिन्न आवृत्ति की मनोतरंग पैदा करती हैं। इन तरंगो की रिकॉर्डिंग से मनः स्थिति का पता चलता है जिसे ब्रेन-वेव रिकॉर्डिंग या इलेक्ट्रो-इनसिफैलोग्राफ या ब्रेन-मैपिंग भी कहा जाता है । मनोचिकित्सा में चार तरह के ब्रेन-वेव संदर्भित है, जिसे बीटा ,अल्फा, थीटा व डेल्टा नाम से जाना जाता है। बीटा-वेव सबसे अधिक फ्रिक्वेंसी की होती है,जो तनाव की मनोदशा तथा अल्फा वेव मध्यम फ्रिक्वेंसी की होती है, जो सामान्य अवस्था को प्रदर्शित करती है। अल्प-ध्यान की अवस्था में थीटा तरंग मिलती जो निद्राचक्र के स्वप्न-समय में भी दिखती है। गहन-ध्यान या डीप-मेडिटेशन की अवस्था में सबसे धीमी ब्रेन-वेव डेल्टा मिलती है जो कि गहरी निद्रा की भी अवस्था होती है। गहन ध्यानावस्था में ही ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर विवेकानंद ने महासमाधि ली थी। इस प्रकार गहरी-निद्रा व गहन-ध्यान पूरक अवस्थाएं है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या प्रो मंजूषा मिश्रा तथा संयोजन मनूचा मेंटल – हेल्थ क्लब की नोडल आफिसर प्रो सुषमा पाठक व संचालन डा पूनम शुक्ला ने किया।