Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या बेहोशी व मूर्क्षा,है  मनोद्वन्द की दशा : डा मनदर्शन

बेहोशी व मूर्क्षा,है  मनोद्वन्द की दशा : डा मनदर्शन

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◆ मनोविकारों की जागरूकता जरूरीः डा. दीपशिखा


अयोध्या। अवध विश्वविद्यालय के अहिल्याबाई होल्कर महिला छात्रावास में मानसिक स्वास्थ्य विषय पर कार्यशाला एवं टाक शो का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता जिला अस्पताल मनोचिकित्सक डॉ. आलोक मनदर्शन ने छात्राओं को रूपांतरण मनोविकार या कन्वर्जन डिसऑर्डर से जागरूक किया। उन्होंने बताया कि मानसिक रस्साकसी से इस मनोविकार के लक्षण उत्पन्न होते है। रूपांतरण विकारों में बेहोशी, किसी अंग का सुन्न होना, जीभ चिपकना, पलकों का चिपकना, तेज सांस चलना, तेज धड़कन व मिर्गी जैसे लक्षण दिखते हैं। शारीरिक जांचे सामान्य होने पर भी पेट दर्द, उल्टी, सरदर्द, दिल की धड़कन बढ़ना, सुनाई न देना, हाथ पैर सुन्न होना, गले मे अटकन तथा उटपटांग हरकत, खुद को दूसरा व्यक्ति बताना, भूत प्रेत या देवी देवता प्रदर्शन जैसे डिसोसिएटिव लक्षण भी दिख सकतें है।  डा मनदर्शन ने बताया कि कन्वर्जन या डिसोसिएटिव डिसऑर्डर के शिकार होने की सम्भावना उन लोगों में अधिक पायी जाती है जो व्यक्तिगत, पारिवारिक या अन्य किसी ऐसी समस्या से जूझ रहे होते हैं जिसे वे किसी से साझा भी करना उचित नही समझते। इस मनोद्वंद से उपजे तनाव को कम करने, स्वजनों की हमदर्दी पाने या प्रियजन से परोक्ष बदला लेने की चाहत इसमें प्रेरक का कार्य करते हैं। इस मनोविकार के उपचार में परिजन-जागरूकता व संदर्भित-व्यवहार अनुपालन का अहम रोल है। मरीज में स्ट्रेस-कोपिंग व प्रॉब्लम साल्विंग मनोयुक्ति का विकास तथा परिजनों द्वारा असामान्य लक्षणों का हतोत्साहन व सामान्य व्यवहार के प्रोत्साहन की सॉफ्ट-ट्रेनिंग उपचार में बहुत कारगर है। इससे काफी हद मनोविकारो पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा प्रभारी डॉ दीपशिखा चौधरी ने  मानसिक स्वास्थ विकारों की पहचान पर जोर दिया। छात्रावास की वार्डन डॉ गीतिका श्रीवास्तव ने मानसिक मनोद्वन्द को साझा करने के लिये प्रेरित किया है। छात्रावास अधीक्षक  डॉ. स्वाति सिंह, स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारी और छात्राएं मौजूद टाक शो मे मौजूद रहे।

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