अंबेडकर नगर। ग्रहों के राजा सूर्य धनु राशि में गोचर करने वाले हैं। सूर्य के धनु राशि में जाते ही शुक्रवार से खरमास लग गया। खरमास लगते ही शादी विवाह में गूंजने वाली शहनाई की धुन एक माह के लिए खामोश हो जाएगी। एक माह के बाद 17 जनवरी 2023 से पुनः बैंड बाजा और बारात की धूम मचेगी। हिंदू धर्म के अनुसार,खरमास में शुभ और मांगलिक कार्यों पर पाबंदी रहती है।इसमें शादी-विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश या गृह निर्माण जैसे शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश पांडेय के अनुसार जिस मास में सूर्य की प्रभा कम और गति धीमी हो जाती है और सूर्य धनु राशि में रहते हैं उसे खरमास कहते है। इस मास में मांगलिक काम नहीं किये जाते है। इस मास में जप तप और ध्यान का महत्व होता है। आचार्य राकेश पांडेय के अनुसार 16 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश करेंगे और 14 जनवरी 2023 को रात 8 बजकर 57 मिनट तक धनु राशि में रहेंगे। 14 जनवरी 2023 को जब सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे तब शुभ और मांगलिक कार्यों की पुन: शुरुआत हो जाएगी। खरमास खत्म होने के बाद 17 जनवरी 2023 से लेकर 14 मार्च 2023 तक शादी-विवाह रचाए जाएंगे। इस दौरान शादी-विवाह के लिए करीब 28 शुभ तिथियां होंगी। इसके बाद 15 मार्च 2023 को सूर्य मीन राशि में चले जाएंगे और खरमास फिर से लग जाएगा। दरअसल धनु और मीन दोनों गुरु देव बृहस्पति की राशियां हैं और इन दोनों ही राशियों में जाकर सूर्य कमजोर पड़ जाते हैं।
खरमास में वर्जित काम
आचार्य राकेश पांडेय के मुताबिक मलमास या खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य न करें, शास्त्रों के अनुसार खरमास में विवाह, जनेऊ, कन्या विदाई, मुण्डन, कर्ण छेदन, भूमि पूजन, गृह निर्माण आरंभ, गृह प्रवेश, नया कारोबार आरंभ नहीं किया जाता है। इस माह में मांसाहारी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, दाल, तेल और दूषित अन्य को छोड़ देना चाहिए। इस माह में इन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, इसके अनुसार सफेद धान, चावल, गेहूं, तिल, जौ, बथुआ, कंकडी, मंचावल, मूंग, शहतूत, सामक, मटर, पीपल, सौंठ, आंवला, सेंधा नमक, सुपारी आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
इन दिनों में किसी पराई स्त्री को नहीं देखना चाहिए। रजस्वला स्त्री से दूर रहना और धर्मभ्रष्ट संस्कारहीन लोगों से संपर्क नहीं रखना चाहिए। किसी प्राणी से द्रोह नहीं करना चाहिए। परस्त्री का भूल करके भी सेवन नहीं करना चाहिए। देवता, वेद, ब्राह्मण, गुरु, गाय, साधु-सन्यांसी, स्त्री और बड़े लोगों की निंदा नहीं करनी चाहिए।
सूर्य के पूजा करने से मिलता है लाभ
आचार्य राकेश पांडेय बताते हैं कि खरमास माह में सुबह में स्नान करने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और सूर्य की पूजा और आराधना करें। सूर्य की पूजा और उपासना के लिए सूर्य को जल अर्पित करने के साथ ही धूप और अगरबत्ती भी जला सकते हैं। इसके अलावा पीले या लाल रंग का वस्त्र, बर्तन, गुड और गेहूं आदि को भी दान किया जा सकता है। सूर्य की पूजा आराधना करने तथा दान करने से कई प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं इसके अलावा ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। इसके अलावा सूर्य मंत्र का जाप करते हुए पूजा पाठ करने से धन, ऐश्वर्य, उत्तम स्वास्थ्य, करियर में कामयाबी, परीक्षा में सफलता, संतानोत्पत्ति आदि का लाभ भी मिलता है।