अंबेडकर नगर। सरकार द्वारा जीरो टालरेंश नीति के तहत काम करने की बात भले ही कही जा रही हो, लेकिन धरातल पर तो हकीकत इससे इतर है। मामला अहिरौली थाने से जुड़ा है, जिसमें एक पुलिसकर्मी द्वारा एक व्यक्ति को चोरी के मामले में जेल भेजे जाने की बात कही और सुलह समझौता करवाने के एवज में दस हजार रुपए की मांग भी की। पीड़ित राम नयन वर्मा पुत्र बंसी निवासी मौरापारा ने लिखित शिकायत पत्र पुलिस अधीक्षक को देत हुए कार्रवाई की मांग की है।
गौरतलब है कि बीते 29 तारीख शाम करीब 6:00 बजे राम नयन के पड़ोस में ताला तोड़कर चोरी हुई थी, जिसमें चोरी में कुछ रुपए सहित नगदी व जेवरात चोरों ने हाथ साफ कर दिया था। रामानुज वर्मा द्वारा अहिरौली थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ शिकायत पत्र दिया था, जिसमें शक के आधार पर राम नयन वर्मा को पुलिसकर्मी चंदन सरोज थाने ले गए और वहां ले जाकर थाने पर बैठाए रहे। लिखित शिकायत पत्र में यह भी कहा कि पुरानी रंजिश के कारण चोरी के फर्जी मामले में फंसा कर जेल भिजवाना चाहते हैं। आरोप लगाया कि शाम होते ही पच्चीस हजार रुपए की डिमांड पुलिसकर्मी चंदन सरोज ने करना शुरू किया तो हमने पूछा कि यह रुपए किस लिए हमे देना है जब हमने कोई गलत काम नहीं किया। पुलिस कर्मी पराम नयन के ऊपर भड़क गए और चोरी के मामले में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की धमकी भी दे डाली। शिकायतकर्ता ने डिमांड ज्यादा होने के कारण असमर्थता जताते हुए कहा कि इतनी रकम की व्यवस्था इतनी जल्दी नहीं कर सकते हैं, कुछ देर बाद पुलिसकर्मी ने दस रुपए की डिमांड करते हुए कहा कि यदि यह व्यवस्था कर देते हो तो दोनों पार्टियों का सुलह समझौता कराकर मामले को रफा-दफा करवा देंगे। जब दस हजार रुपए पीड़ित किसी तरह व्यवस्था करके दिया गया तो जाकर सुलह समझौता करा कर थाने से छोड़ा गया।
आखिर सवाल यह है कि क्या सुलह समझौते के नाम पर इस तरह की जो अवैध वसूली होती है क्या इसकी जानकारी थाना अध्यक्ष को नहीं रहती है। जब की प्रदेश सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को ऐसे भ्रष्ट पुलिसकर्मी ठेंगा दिखाने का काम भी कर रहे हैं । यह पुलिसकर्मी अवैध वसूली के मामले में अक्सर सुर्खियों में भी बना रहता है । अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी आरोपों की जद में आए पुलिसकर्मी के ऊपर कार्यवाही करते हैं, या विभागीय कृपा बनी रहेगी। वही अपर पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में जांच कर कार्रवाई करने की बात भी कही है।