अंबेडकर नगर। बी.एन. के.बी. पी.जी. कॉलेज, अकबरपुर में गुरूवार को नई शिक्षा नीति -2020 के परिप्रेक्ष्य में नैक मूल्यांकन की रूपरेखा विषयक एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन प्रो. शुचिता पांडेय के संयोजकत्व एवं सचिव प्रबन्ध समिति कृष्ण कुमार टण्डन के संरक्षकत्व में डॉ. शशांक मिश्र ने किया।
प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित प्रो. मनोज दीक्षित पूर्व कुलपति डॉ राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय ने अपने उद्बोधन में बताया कि नई शिक्षा नीति 2020 ऐसी शिक्षा नीति है जिसमे भारत के सभी लोगों से सलाह लिया गया है। प्रो. दीक्षित ने 1835 से पूर्व भारतीय शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उस समय भारत में जो शिक्षा व्यस्था थी वह व्यापक और सस्ती शिक्षा व्यस्था थी। 1793-1797 में ब्रिटिश मिशनरियों ने यहाँ की शिक्षा व्यस्था पर शोध किया और एक व्यापक लेख ‘मद्रास विधि’ नाम से प्रकाशित किया जिससे इंग्लैंड में गरीब लोगों को शिक्षित किया गया और वहां की साक्षरता दर 35 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हुई। प्रो दीक्षित ने बताया कि नई शिक्षा नीति बच्चों पर भाषा का बोझ नहीं डालता है।
विशिष्ट वक्ता प्रो.विनय सक्सेना , प्राचार्य किसान डिग्री कॉलेज बहराइच ने कार्यशाला को उद्बोधित करते हुए बताया कि वर्तमान समय की जरूरत है नई शिक्षा नीति -2020 और नैक मूल्यांकन।महाविद्यालयों में नैक कराने हेतु किन-किन बारीकियों की आवश्यकता है उसकी महत्वपूर्ण बातों को लोगों को बताया और किन पहलुओं पर ध्यान रखकर अच्छी ग्रेडिंग प्राप्त की जा सकती है उसकी विस्तृत चर्चा की।
द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. फारुख जमाल, आई क्यू ए सी निदेशक डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय ने बताया कि नई शिक्षा नीति को बहुत से लोग भ्रामक बताते हैं और बहुत से लोग इसे बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक बताते है।नई शिक्षा नीति भ्रामक पूर्ण नहीं है यह वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप है। प्रो. डीके त्रिपाठी, प्राचार्य राणा प्रताप पीजी कॉलेज ने अपने वक्तव्य में बताया कि नैक मूल्यांकन आज सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए गुणवत्तापूर्ण संवर्धन के लिए एक उपकरण सिद्ध हो रहा है।
कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के सहायक आचार्य वागीश शुक्ल ने किया। कार्यक्रम में भित्ति पत्रिका ओरावन पत्रिका का विमोचन भी किया गया। पत्रिका के संपादक डॉ वागीश शुक्ल ने बताया कि पत्रिका के माध्यम से बच्चों की सृजनात्मक प्रतिभा का विकास होगा। कार्यक्रम के संयोजक हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ शशांक मिश्र ने बताया कि इस प्रकार के कार्यशाला के आयोजन होने से किस प्रकार से नई शिक्षा नीति उपयोगी है और नैक मूल्यांकन होने के माध्यम से शिक्षा किस प्रकार गुणवत्तापूर्ण बनाई जा सकती है को समझा जा सकता है। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर शुचिता पांडेय ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया और भविष्य में ऐसे ही कार्यशाला एवं संगोष्ठी के आयोजन कराने की बात कही।इस कार्यक्रम में बहुत से लोग आभासी माध्यम से भी जुड़े रहे। महाविद्यालय के शिक्षकगण, कर्मचारीगण, एन. सी. सी. के कैडेट, एन. एस. एस. के स्वयंसेवक और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।