◆ करीब तीन दशक पहले अन्नू भाई सोमपुरा गुजरात से आए थे अयोध्या
◆ भाई व बेटे के साथ शुरु किया था राममंदिर के पत्थर तराशने का कार्य
अयोध्या। भव्य राममंदिर के पत्थरों को तराशने वाले अन्नू भाई सोमपुरा दशकों पहले गुजरात अहमदाबाद से गुजरात आए थे।
गुजरात से अयोध्या आते समय उन्होंने खुली आंखों से रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का स्वप्न देखा था। 78 वर्षीय रामभक्त कहानी भावविभोर कर देने वाली है। जिन्होंने अपने जीवन के 33 साल मंदिर में लगने वाली शिलाओं को तराशनें में लगा दिया। उनकी आंखों ने 1990 के गोली कांड, 1992 से बाबरी विध्वंस व अयोध्या की सभी घटनाओं को देखा है। अन्नू भाई कहते है कि भव्य राममंदिर निर्माण का स्वप्न इसी जन्म में साकार रुप ले रहा है। जिससे उनकी तपस्या साकार हो गई।

गुजरात में रह कर ठेके का कार्य करने वाले अन्नू भाई सोमपुरा बताते है कि सन 1990 के दौरान 45 वर्ष की उम्र में दीपावली से दो माह पूर्व अहमदाबाद के आर्किटेक्ट सी वी सोमपुरा के कहने पर अहमदाबाद से अयोध्या आये थे। यहां अपने भाई प्रदीप व बेटे प्रकाश के साथ पत्थरों को तराशने का काम शुरू किया। आज जहां कार्यशाला है कभी वह आस – पास जंगल हुआ करता था जो बाबुल के पेड़ से घिरा हुआ था। सोमपुरा ने बताया कि साकेतवासी महंत परमहंस दास, महंत नृत्यगोपाल दास सहित कई साधु संतों की उपस्तिथि में विधिवत हवन पूजन कर दो शिलाओं को तराशा गया।
