अयोध्या। शहीद भगतसिंह स्मृति ट्रस्ट द्वारा शहीद भगतसिंह की जयंती पर नगर निगम स्थित उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात भगतसिंह की शहादत व आज का भारत विषय पर एक गोष्ठी आयोजित की गई । गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार आर डी आनंद ने किया तथा संचालन मालती तिवारी ने किया।
विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डा विशाल श्रीवास्तव ने कहा कि देश की आज़ादी की लड़ाई के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था और महज़ 23 साल की उम्र में हंसते- हंसते फांसी का फन्दा चूमकर अपने गले में डालकर 23 मार्च, 1931 को शहीद हो गया था। उनके साथ ही उनके दो साथी राजगुरु और सुखदेव ने भी उसी दिन अपनी शहादत दी थी।
ट्रस्ट के चेयरमैन सत्यभान सिंह जनवादी ने कहा कि भगत सिंह ने जेल में रहते हुए बहुत कुछ लिखा है। उनकी लिखी हुई “जेल डायरी” मौजूद है। भगत सिंह ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जो बेहद खूबसूरत था।
माले नेता अतीक अहमद ने कहा कि भगत सिंह के विचार ब्रिटिश हुकूमत के लिए इतना बड़ा खतरा बन चुके थे कि उनको रास्ते से हटाना बहुत ज़रूरी हो गया था। आखिरकार ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने उनकी जान ले ही ली।
वरिष्ठ साहित्यकार आरडी आनंद ने कहा कि उनकी बात यह साबित करती है कि विचार कितने ताक़तवर होते हैं और उन क्रांतिकारी विचारों से ज़ुल्म-ओ-सितम ढाने वाले इतना घबराते क्यों हैं?
पूजा श्रीवास्तव ने कहा कि भगतसिंह सिंह ने कहा और लिखा था, “अंग्रेज़ी हुकूमत की बुनियादें हिल चुकी हैं और वो अगले 15 सालों में भारत छोड़ने के लिए मजबूर हो जायेंगें।”
कार्यक्रम में मुख्यरूप से शिबानी सिंह, ममता सिंह, रामजी तिवारी, अनिता यादव, मालती तिवारी, कंचन, सरिता सिंह, रेनू सिंह, आफाक अहमद,सूर्या,महावीर पाल,जयप्रकाश श्रीवास्तव,अखिलेश सिंह,याकूब सहित सैकड़ों साहित्यकार व ट्रस्ट के सदस्य मौजूद रहे।