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अष्टमी को महागौरी की तो‌ नवमी तिथि को सिद्धिदात्री माता की स्तुति के साथ होगा नवरात्रि का समापन

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@ सुभाष गुप्ता


बसखारी अंबेडकर नगर।शक्ति एवं भक्ति का महोत्सव नवरात्रि का पावन पर्व धीरे-धीरे भक्ति एवं उत्साह के बीच समापन की तरफ अग्रसर है।इस बार 15 अक्टूबर से शुरू हुए नवरात्रि पर्व का समापन 23 अक्टूबर को जगत जननी मां दुर्गा के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री माता की पूजा के साथ संपन्न हो जायेगा। रविवार को मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा आराधना करने के बाद सोमवार को शक्ति के नवें स्वरूप सिद्धिदात्री माता की पूजा आराधना का विधान शास्त्रों में वर्णित है।



मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान ,बुद्धि ,धन, के साथ सभी सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा अपने इस स्वरूप में अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, ईशित्व, वशित्व,प्राकाम्य और प्राप्ति सहित आठ सिद्धियों से परिपूर्ण अपनी चार भुजाओ में से तीन भुजाओं में चक्र,शंख,कमल का पुष्प व एक भुजा वरमुद्रा में किये हुए लक्ष्मी जी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में दिन की पूजा आराधना करने के साथ रात्रि में भी पूजा, आराधना व साधना का विशेष महत्व बताया गया है। क्योंकि रात के समय प्रकृति शांत रहती है।शांत प्रकृति में साधना करने से साधना बगैर किसी बाधा पूर्ण होती हैं। 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की  पूजा आराधना करने के बाद नवमी तिथि पर सिद्धिदात्री माता की पूजा,  हवन व कन्या पूजन कर नवरात्रि की प्रथम व अष्टमी अष्टमी तिथि पर व्रत रखने वाले जातक व्रत का पारण करते है। 9 दिनों तक व्रत रखने वाले जातको के लिए दशमी तिथि में व्रत का पारण करने का विधान बताया गया हैं। नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता सिद्धिदात्री कृपालु, दयालु तथा भक्त वत्सल हैं।और  सच्चे मन से मातृभाव रखकर पूजा आराधना करने वाले भक्तों पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती हैं।

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