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मारपीट के बाद पहले से बीमार की मौत हो जाय तो पुलिस की निगाह में गुनाह नहीं

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◆ मिल्कीपुर परसावां की घटना में पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह से संदेह के घेरे में


◆ मारपीट हुई, बुजुर्ग घायल हुआ, पंचायत हुई, बुजुर्ग की मौत हो गई, जांच तक करने को तैयार नहीं पुलिस


कुमारगंज, अयोध्या। तुम्हें सियासत ने हक दिया है। हरी जमीन को लाल कर दो। राहत इंदौरी के कविता की यह पक्तियां इनायतनगर थाना की पुलिस पर एकदम सटीक बैठती है। एक बीमार बुजुर्ग की पिटाई हुई। जिसमें पूरे गांव में पंचायत बैठी। पीटने वाले को बीमार के इलाज की जिम्मेदारी सौंपी गई। बुजुर्ग की बाद में मौत हो गई। इतना सबकुछ हो गया। पुलिस जांच तक करना नहीं चाहती है। पोस्टमार्टम में मौत का कारण अगर बीमारी आ गई तो पुलिस के हाथ वह तुरुप का इक्का लग गया। जिसके आगे बाकी सारी घटनाएं दब गई।


क्या है पूरा मामला –


इनायतनगर थाना कोतवाली क्षेत्र के परसवां के रहने वाले बुजुर्ग रामप्रकाश पाण्डेय के साथ हुई घटना के बारें में जानकारी देते हुए उनका पुत्र अनुपम पाण्डेय बताता है कि होली के एक दिन पहले पांच लोग शराब पीने के लिए उसके घर पर आये। उस समय पिता घर पर अकेले थे। शराब पीने से मना करने पर उन लोगो ने उसके पिता की पिटाई की। जिसके बाद गांव में पंचायत बैठी। पंचायत में निर्णय लिया गया कि मारपीट करने वाले बुजुर्ग का इलाज कराएंगे। लेकिन मारपीट के आरोपियों ने बुजुर्ग का इलाज नहीं कराया। धन व इलाज के अभाव में उसकी 16 अप्रैल की रात मौत हो गई। अनुपम का कहना है कि पुलिस बता रही है पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फेफड़े में इंफेक्शन से मौत आया है। पिता पहले से बीमार थे। लेकिन अगर किसी बीमार को बेहरमी से मारा जाय। उसकी मौत हो जाय। तो कानून की निगाह में यह कोई गुनाह नहीं है।


क्या समान्य घटना में पुलिस करती है इसकी प्रकार कार्रवाई


पुलिस पर छोटी-छोटी घटना में प्रार्थना पत्र मिलने के बाद वादी व आरोपी पक्ष दोनो को परेशान करने के आरोप अक्सर लगते रहते है। लेकिन इन आरोपों के इतर इतनी बड़ी घटना हो गई। एफआईआर तो दूर पुलिस को जांच तक की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। आरोपी पक्ष से पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की। मारपीट के बाद हुई पंचायत में शामिल लोगो से तथा इलाज करने वाले डाक्टर से जानकारी लेने के बाद केस की दिशा तय करनी चाहिए थी। लेकिन पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। क्या इससे आरोपियों का मनोबल नहीं बढ़ेगा।


आईजी ने दिया जांच का आदेश पर थाने नहीं पहुंची जांच


थाने पर कोई कार्रवाई न होने पर आईजी को मृतक के पुत्र अनुपम पाण्डेय ने शिकायती पत्र दिया था। जिसमें गांव के निवासी राहुल सिंह पुत्र विजयपाल सिंह, जितेश सिंह पुत्र कृष्णदेव सिंह, अभिषेक यादव पुत्र केशव राज यादव, अतुल श्रीवास्तव पुत्र लाल बहादुर श्रीवास्तव व मुकेश सिंह पुत्र अज्ञात पर मारपीट का आरोप लगाया है। अनुपम पाण्डेय के अनुसार प्रार्थना पत्र पर आईजी ने जांच का आदेश दिया था। थानाध्यक्ष इनायतनगर संदीप सिंह का कहना है कि अभी तक आईजी की तरफ से कोई आदेश नहीं मिला है। जैसे ही आदेश मिलेगा जांच की जायेगी।
बसपा ने मामले में लगाया है गम्भीर आरोप- बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सच्चिदानंद पाण्डेय ने मामले में इनायतनगर पुलिस की कार्रवाई को कटघरे में खड़ा करते हुए गम्भीर आरोप लगाए है। उनका कहना है कि पुलिस को निष्पक्ष होकर काईवाई करनी चाहिए थी। अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई। मामले की जांच होनी चाहिए। जांच में लापरवाही सामने आने के बाद थानाध्यक्ष पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।


चाणक्य परिषद के संरक्षक को दिखाया खून से सना कपड़ा


अखिल भारतीय चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक व परशुराम सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित कृपानिधान तिवारी के नेतृत्व में संगठन का प्रतिनिधिमंडल 20 अप्रैल को सरियावां चौराहे इकठ्ठा होकर परसवां पहुंचा। जहां मृतक के परिजनों ने खून से सना कपड़ा व वीडियो दिखाई। कृपानिधान तिवारी ने बताया कि कार्रवाई न होने पर मंगलवार को जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। इसके बाद भी अगर कारवाई नहीं हुई तो परसवां में ब्राहमण महापंचायत बुलाया जाएगा। प्रतिनिधि मंडल मे पंडित कृपानिधान तिवारी डा रामतेज पाण्डेय डॉ आदित्य नारायण त्रिपाठी लखनधर त्रिपाठी दुर्गा प्रसाद तिवारी आफत रामकृपाल पाठक आशीष मिश्रा राजेंद्र तिवारी बाबूराम पाण्डेय सभाजीत तिवारी, अशोक कुमार तिवारी, विक्रमाजीत तिवारी, अश्विनी तिवारी, आर्येंद्र त्रिपाठी मौजूद रहे।

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