अयोध्या। गुरूद्वारा नजरबाग में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बंदी छोड़ दिवस के उपलक्ष में सालाना महान गुरमत समागम का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर नानकसर सींघड़ा करनाल से आए संत बाबा अमरजीत सिंह भोला, सिमरन कौर दिल्ली वाले, परमजीत सिंह नौतनवा, सतबीर सिंह लखनऊ ने कथा और कीर्तन द्वार संगतो, श्रद्धालुओं को गुरु चरणों से जोड़ा। उन्होंने शांति-भाईचारा का संदेश देते हुए कहा कि हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं। इसलिए समाज में ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाकर सबको गले लगाएं। साथ ही हर गरीब-असहाय की मदद करें। श्रद्धालुओं ने बड़े चाव के साथ लंगर प्रसाद ग्रहण किया। गुरूनानक गोबिंद धाम गुरूद्वारा नज़रबाग के जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह जी ने बताया कि दीपावली पर्व पर सिक्खों के छठवें गुरु हरगोबिंद साहिब जी का ग्वालियर किले से अमृतसर आगमन हुआ था। वह ग्वालियर के किले से 52 राजाओं को जहांगीर की कैद से मुक्त कराकर हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) पहुंचे थे। उस वक्त स्वर्ण मंदिर व पूरे अमृतसर शहर को दीयों की रोशनी से सजाया गया था। इस दिन को दाता बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है अर्थात बंधनों से मुक्त कराने वाले दाता का खास दिन। इसी अवसर पर अयोध्या में हर वर्ष दीपावली के दूसरे दिन महान गुरमत समागम का आयोजन किया जाता है। सेवादार नवनीत सिंह ने बताया कि गुरूद्वारा नजरबाग बहुत ही पौराणिक स्थल है जो कि सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु गुरूनानक देव जी और दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी की चरण रज प्राप्त है।