Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अयोध्या सहनभूति की मनोदशा बनती है मदद की दिशा

सहनभूति की मनोदशा बनती है मदद की दिशा

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◆ रोल मॉडलिग से होगी दुर्घटना मदद जन भागेदारी


अयोध्या। किसी संकट या दुर्घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में एक वर्ग ऐसा होता है जिसके मन में कोई संवदेना ही नही उत्पन्न होती। इसे अपैथेटिक ग्रुप कहा जाता है। दूसरा वर्ग वह होता है जो दूर से हमदर्दी  जताता है पर कोई सक्रिय मदद नही करता इसे सिम्पैथी ग्रुप कहा जाता है और तीसरा वर्ग फौरन सक्रिय मदद में जुट जाता है जिसे इम्पैथी वर्ग कहा जाता है। केवल हमदर्दी जताने वाले लोग सक्रिय मदद तो करना चाहतें हैं पर क़ानूनी दांवपेच या अन्य संभावित जोखिम के डर से नही करते। यह बातें संभागीय परिवहन कार्यालय सभागार में आयोजित सड़क दुर्घटना सहायता में जन सहभागिता मनो संवेदीकरण कार्यशाला में जिला चिकित्सालय के मनोपरामर्शदाता डा आलोक मनदर्शन ने कही।

सलाह व उपाय : संकट या दुर्घटना में जन सामान्य की अधिकतम भागीदारी के लिये अपैथेटिक या असंवेदनशील वर्ग को मनोवैज्ञानिक सेंसिटाइजेशन ट्रेनिंग के माध्यम से दुर्घटना के मानवीय पहलुओं के प्रति संवेदनशील बनाया जा सकता है तथा केवल हमदर्दी दिखाने वाले वर्ग के लिये रोल मॉडलिंग हॉस्पिटल व पुलिस विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना चाहिये तथा ऐसे कृत्य करने वाले लोगों को रियल लाइफ हीरो जैसे विशेषण से प्रोत्साहित किया जाना चाहिये जिससे इनके मन का डर या संकोच उदासीन हो सके। रोल प्ले तकनीक से दुर्धटना के सीन रिक्रिएशन व मॉक ड्रिल  से आम जन में दुर्घटना मदद कौशल व दक्षता विकसित की जा सकती है जिसे मनोविष्लेषण की भाषा मे सिमुलेशन ट्रैनिंग कहा जाता।इससे मनोरसायन  एंडोर्फिन व सेरोटोनिन का संवर्धन होगा तथा तमाशबीन वर्ग में सक्रिय मददगार मनोवृत्ति बढ़ेगी। कार्य शाला की अध्यक्षता ए आर टी ओ प्रशासन डा आर पी सिंह तथा संयोजन आर आई प्रेम सिंह ने किया।

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