Sunday, September 22, 2024
HomeAyodhya/Ambedkar Nagarअम्बेडकर नगरराजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा–उदय राज मिश्रा

राजभाषा बनाम राष्ट्रभाषा–उदय राज मिश्रा

अंबेडकर नगर। विभिन्नता में एकता ही भारतीय संस्कृति की विशेषता है।कदाचित रूप,रंग,जाति,धर्म और पंथ के साथ-साथ भाषाई विविधता भी इसकी एक प्रमुख पहचान और विशिष्टता है। भाषा जहाँ व्यक्ति के मन के भावों को व्यक्त करने का उत्कृष्टम साधन है वहीं भाषाई एकता किसी भी राष्ट्र के सुदृढ होने का महामंत्र भी है।दुर्भाग्य से भारत में सर्वाधिक और विश्व में प्रमुखता से बोले जाने के बावजूद स्वाधीनता प्राप्ति से आजतक देश में एक राष्ट्रीय भाषा का न होना जहाँतक भाषावाद के जीवंत होने का परिचायक है वहीं राजभाषा होकर भी राष्ट्रभाषा की पदवी से वंचित हिंदी भाषा और हिंदी भाषाभाषियों के लिए किसी दुखद अध्याय से कम नहीं है।लिहाजा राजभाषा बनाम राष्टभाषा के द्वंद में हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस मनाने का महत्त्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि हिंदी उसकी प्रतिष्ठा दिलवाने का और कोई उपादान भी नहीं है।

यह बात जगविदित है कि मुगलों के पूर्व भारत में देवभाषा संस्कृत और देवनागरी लिपि का ही प्रयोग होता था।विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ वेद जहाँ संस्कृत में लिखे गए वहीं कालांतर में उनकी टीकाएँ संस्कृत के साथ-साथ देवनागरी लिपि में भी लिपिबद्ध करने का कार्य मनीषियों द्वारा किया गया।देवनागरी लिपि ही हिंदी का दूसरा रूप है।सदियों तक गुलामी झेलते भारत में भाषाई संक्रमण जहाँ संस्कृत को अधोपतन तक ले गया वहीं हिंदी को अरबी,फ़ारसी और अन्यान्य भाषाओं से टक्कर मिलने लगी।सरकारी कार्यालयों में फ़ारसी का प्रयोग होने से हिंदी सिर्फ भारतीय समाज तक ही सिमट कर रह गयी।अलबत्ता हिंदी और संस्कृत से ही उर्दू का जन्म हुआ जो आज भी पाकिस्तान,भारत सहित अनेक देशों में बोली जाती है।

राष्ट्रीयता के विकास में भाषा के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए ही सर्वप्रथम सरकारी तौरपर 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता दी गयी।तबसे यह दिन हिंदी दिवस के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।राजभाषा के रूप में किसी भी सरकारी,अर्धसरकारी या किसी भी रूप में हिंदी में किया गया पत्राचार,लेखन और वक्तव्य पूर्णरूप से अधिनियमित और विधिमान्य है किंतु यही एकमात्र भाषा ही नहीं है,अपितु अनेक भाषाओं के समूह में एक यह भी है,जोकि इसके राष्ट्रभाषा होने में सबसे बड़ी मुश्किल है।

प्रश्न जहाँ विश्व हिंदी दिवस के आयोजन का है तो इसका भी वही हेतु और ध्येय है जैसा कि 14 सितंबर को मनाए जाने वाले हिंदी दिवस का है।इस निमित्त ध्यातव्य है कि भारत में पहलीबार 10 जनवरी 1975 को विश्व हिंदी दिवस का आयोजन नागपुर में किया गया था किंतु उसके उपरांत इस तिथि का कोई खास महत्त्व नहीं रहा परन्तु 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा एकबार पुनः 10 जनवरी की तिथि को ही विश्व हिंदी दिवस जा आयोजन करते हुए विश्वभर में स्थापित भारत के सभी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में हिंदी सम्वर्धन हेतु कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया।जिसके चलते प्रतिवर्ष 10 जनवरी की तिथि को विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाते हुए इसके विश्वव्यापी स्वरूप को और भी विराट करने का अभियान चलाया जाता है।

वस्तुतः राजभाषा हिंदी के प्रचार,प्रसार और सम्वर्धन हेतु 14 सितंबर और 10 जनवरी दोनों ही तिथियों को आयोजित होने वाले कार्यक्रमों का उद्देश्य मूलतः एक ही है और वह है हिंदी को राजभाषा से राष्टभाषा की पदवी से अलंकृत करना।किन्तु भारतीयों के अंदर बढ़ती अंग्रेजियत और अपनी मातृभाषा के प्रति रूखापन इसके मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।

मातृभाषा के महत्त्व का वर्णन फ्रांस के प्रख्यात शिक्षक व लेखक अलफांसो दौडेट करते हुए लिखते हैं कि मातृभाषा जेल रूपी दासता के विरुद्ध एक कुंजी रूपी मुक्ति का मार्ग है।यदि कोई देश अपनी मातृभाषा को सम्मान देना बंद कर देता है तो भाषाई गुलामी उन्हें मानसिक गुलाम बनाकर अनंतकाल की दासता उपहार स्वरूप देती है।अतः मातृभाषा का विकास ही राष्ट्रीयता के विकास और राष्ट्र की समृद्धि का द्योतक होता है।

यह सत्य है कि भारत विविधतापूर्ण देश है किंतु एक विधान,एक संविधान के साथ-साथ एक राष्टभाषा का भी होना राष्ट्र की एकता और राष्ट्रीयता के पोषण के लिए नितांत आवश्यक है।दुर्भाग्य से कमजोर राजनैतिक इच्छाशक्ति और सत्ताप्राप्ति कि जुगत में राजभाषा को राष्टभाषा बनाने की दिशा में लापरवाह नेतागण जहाँ इसके लिए जिम्मेदार हैं वहीं यहां के नागरिक भी दोषमुक्त नहीं हैं।अतः हर व्यक्ति को चाहिए कि पठन-पाठन, लेखन, वक्तव्य और हरप्रकार के सरकारी व गैरसरकारी कार्य हिंदी में ही करें।जिससे जहाँ हम अपने भावों को बहते तरीके से व्यक्त कर पायेंगें वहीं राजभाषा को उसका असली स्वरूप राष्टभाषा का मिल जाएगा।कदाचित यही विश्व हिंदी दिवस का मूल उद्देश्य भी है।

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments