Home Ayodhya/Ambedkar Nagar अम्बेडकर नगर हीट वेव को लेकर जिला प्रशासन ने दिया आवश्यक दिशा निर्देश

हीट वेव को लेकर जिला प्रशासन ने दिया आवश्यक दिशा निर्देश

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ayodhya samachar

अम्बेडकर नगर। हीटवेव से बचाव हेतु प्रशासन द्वारा आवशक दिशा निर्देश दिये गये है, जन सामान्य लू से बचाव को लेकर बताये उपायों को अमल में लायें और अपना बचाव करें। अपर जिलाधिकारी डॉ सदानंद गुप्ता ने बताया कि मौसम विभाग द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 31 मई  एवं 2 जून तक हीट वेव चलने की संभावना है। ऐसे में हीटवेब (लू) से बचाव के लिए आवश्यक एहतियात बरती जायें तथा सुरक्षात्मक उपायों को अपनाया जाये। जिससें भीषण गर्मी, गर्म हवा व लू से अपना बचाव कैसे करें तथा सुरक्षित कैसे रहें। गर्म हवाओं से बचने के लिए खिड़की को रिफ्लेक्टर जैसे एलुमिनियम पन्नी, गत्ते इत्यादि से ढककर रखें, ताकि बाहर की गर्मी को अन्दर आने से रोका जा सके। उन खिड़कियों व दरवाजों पर जिनसे दोपहर के समय गर्म हवाएं आतीं हैं, काले परदे लगाकर रखना चाहिए। आपदा विशेषज्ञ सूर्यमान ने बचाव के तरीके बताते हुए कहा कि गर्म हवाओं से बचने के लिए स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुनें और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सजग रहें। आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण ले। बच्चों तथा पालतू जानवरों को कभी भी बन्द वाहन में अकेला न छोड़ें। जहां तक सम्भव हो घर में ही रहें तथा सूर्य के ताप से बचें। सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिल पर रहें। संतुलित, हल्का व नियमित भोजन करें और बासी खाने का प्रयोग कदापि न करे और मादक पेय पदार्थों का सेवन न करें। घर में पेय पदार्थ जैसे लस्सी, छांछ, मट्टा, बेल का शर्वत, नमक चीनी का घोल, नीबू पानी या आम का पना इत्यादि का प्रयोग करें।


कब लगती है लू


गर्मी में शरीर के द्रव्य बॉडी पल्यूड सूखने लगते हैं। शरीर में पानी, नमक की कमी होने पर लू लगने का खतरा ज्यादा रहता है। शराब की लत, हृदय रोग, पुरानी बीमारी, अधिक उम्र, अनियंत्रित मधुमेह वाले व्यक्तियों को लू से विशेष बचाव करने की जरूरत है। इसके अलावा डॉययूरेटिक, एंटीस्टिमिनक, मानसिक रोग की औषधि का उपयोग करने वाले व्यक्ति भी लू से सवाधान रहें।


लू लगने के लक्षण


 गर्म, लाल, शुष्क त्वचा का होना, पसीना न आना, तेज पल्स होना, उल्टे श्वास गति में तेजी, व्यवहार में परिवर्तन, भ्रम की स्थिति,सिरदर्द, मिचली, थकान और कमजोरी का होना या चक्कर आना, मूत्र न होना अथवा इसमें कमी आदि मुख्य लक्षण हैं। इन लक्षणों के चलते मनुष्यों के शरीर के उच्च तापमान से आंतरिक अंगों, विशेष रूप से मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है। इससे शरीर में उच्च रक्तचाप उत्पन्न हो जाता है।

खुद को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन), लस्सी, (चावल का पानी), नींबू का पानी, छाछ आदि जैसे घरेलू पेय का इस्तेमाल करें। हल्के वजन, हल्के रंग के, ढीले, सूती कपडे पहनें एवं अपना सिर ढंकें- कपड़े, टोपी या छतरी का उपयोग करें।अधिक से अधिक पानी पियें एवं हांथों-पैर को पानी से बार-बार घोएं।अनावश्यक घर से बाहर प्रात-11 बजे से सांयकाल चार बजे तक न निकले, बहुत ही आवश्यक होने पर चेहरे व सिर को ढककर ही निकले।अति पारिश्रमिक वाले कार्यों को दिन के ठन्डे समय मे निर्धारित करें। पशुओं को जहां तक संभव हो, तेज गर्मी के दौरान उन्हें घर के भीतर रखें।यदि उन्हें घर के भीतर रखा जाना संभव न हो तो उन्हें किसी छायादार स्थान में रखें, जहां वे आराम कर सकें। ध्यान रखें कि जहां उन्हें रखा गया हो वहां दिनभर छाया रहें। जानवरों को किसी बंद में न रखें, क्योंकि गर्म मौसम में इन्हें जल्दी गर्मी लगने लगती है। ध्यान रखें कि आपके जानवर पूरी तरह साफ हों, उन्हें ताजा पीने का पानी दें, पानी को धूप में न रखें। दिन के समय उनके पानी में बर्फ के टुकड़े डालें। पीने के पानी के दो बोतल रखें ताकि एक में पानी खत्म होने पर दूसरे से वे पानी पी सकें।किसी भी स्थिति में जानवर को वाहन में न छोडे एवं अपने पालतू जानवर का खाना धूप में न रखें।

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