अंबेडकर नगर।राजमाता अहिल्याबाई होलकर भारतीय सांस्कृतिक एवं धार्मिक एकता की प्रतीक तथा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु एक जीवंत उदाहरण हैं।जिनका जीवनवृत्त आज भी भारतीय वांग्मय तथा राष्ट्रीय एकता को परिभाषित करता है। ये उद्गार गांधी स्मारक इंटर कॉलेज,राजेसुलतानपुर के प्रधानाचार्य कप्तान सिंह ने व्यक्त किए। श्री सिंह आज कॉलेज में राजमाता के जन्म के तीन सौ वर्ष होने पर आयोजित वर्षपर्यंत चलने वाले कार्यक्रमों के क्रम में आयोजित दौड़,रंगोली,प्रभात फेरी तथा वाद – विवाद प्रतियोगिताओं के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।कार्यक्रम का संचालन शैक्षिक महासंघ के अयोध्यामंडल अध्यक्ष डॉ.उदयराज मिश्र ने किया।
ज्ञातव्य है कि 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के चोंडी ग्राम में एक साधारण गडरिया किसान परिवार में जन्मी राजमाता अहिल्याबाई का विवाह मालवा नरेश खंडेराव होलकर से आठ वर्ष की ही अवस्था में हुआ था और ये 27 वर्ष की उम्र में ही विधवा हो गई थीं।किंतु तत्कालीन सती प्रथा के विरुद्ध राजमाता ने पति की मृत्यु के पश्चात सती होने के बजाय राज व्यवस्था को संचालित करने का प्रण लिया।उन्होंने मुगलों द्वारा ध्वंस किए गए सोमनाथ मंदिर,काशी विश्वनाथ मंदिर सहित अनेक प्राचीन मंदिरों का पुनरोद्धार करते हुए शताधिक शिक्षालयों और देवालयों तथा घाटों की सीढ़ियों का निर्माण संपूर्ण भारत में कराया।जिसके कारण उन्हें पुण्य श्लोक अर्थात पवित्र वेद मंत्र की उपाधि से संबोधित किया जाने लगा।अहिल्याबाई होलकर ने मुगलों के पश्चात भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के उत्थान हेतु जितने प्रयास किए वैसा अन्यत्र कहीं नहीं दृष्टिगोचर होता।
ध्यातव्य है कि 21मई से घोषित हो चुके ग्रीष्मावकाश के पूर्व आज कॉलेज के सहस्राधिक विद्यार्थियों ने अपनी स्व रुचि के अनुसार रंगोली,वाद -विवाद,पेंटिंग सहित विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग करते हुए प्रभात फेरी की।जिसके उपरांत 100 मीटर सब जूनियर,जूनियर और सीनियर संवर्गों की दौड़ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं।
कार्यक्रम का समापन योग गुरु राजेश मिश्र द्वारा राजमाता के व्यक्तित्व व कृतित्व पर व्यापक प्रकाश डालते हुए किया गया।समापन समारोह को शिक्षक सुधीर शुक्ल,कैप्टन मंजू सिंह,नीतू सिंह, रीना सिंह,श्यामकेतु सिंह,राघवेंद्र कुमार,अमरनाथ पांडेय,दिनेश यादव,सुनील कुमार, पंकज कुमार तथा उप प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र राम ने भी संबोधित किया।