बसखारी अंबेडकर नगर। भारतीय संस्कृत का असली सार त्योहारों में दिखता है। भारतवर्ष एक त्योहारों का देश है।जहां हर दिन कोई ना कोई उत्सव मनाने की परंपरा रही है।उन्ही उत्सवों में महाशिवरात्रि का पावन दिन भी एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है।जो इस बार 18 फरवरी शनिवार को मनाया जाएगा। हालांकि इस पर्व के मनाए जाने की तैयारी को लेकर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर स्थित शिवालयों की साफ, सफाई, रंगाई, पुताई का कार्य एक हफ्ते पहले से ही शुरू हो चुका है। शिवालयों की रंगाई पुताई के बाद साफ सफाई करते हुए शुक्रवार को क्षेत्र के शिवालयों को रंग-बिरंगी झालरों से भी सजाने का सिलसिला शुरू हो चुका है।
इस बार की शिवरात्रि का महापर्व शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसका महत्व और भी महत्व बढ़ गया है। शनिवार के दिन शिव भक्त क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों पर विशेष पूजा आराधना करते हैं। लेकिन इस बार शनिवार के दिन शिवरात्रि का विशेष महापर्व होने के कारण शिव के साथ माता पार्वती की आराधना का भी विशेष फल शिव भक्तों को प्राप्त होगा। मान्यता है कि फाल्गुन मास मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती एवं देवाधिदेव महादेव परिणय सूत्र में बंधे थे। इस दिन महादेव और माता पार्वती के वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने एवं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाने के लिए शिवभक्त शिवालयों में जाकर देवाधिदेव महादेव को प्रिय भांग, धतूर, बेल पत्र, अबीर, गुड गन्ने की कटी हुई छोटी गेड़ी,बेर, पुष्प,गाय का दुध आदि पूजा सामग्री के साथ विशेष पूजा आराधना करते हुए शिव रात्रि का महापर्व धूमधाम के साथ मनाते हैं। कुछ शिवभक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए रूद्राभिषेक पूजन व व्रत भी रखते हैं।मान्यता है कि महाशिवरात्रि के पर्व के दिन सच्चे मन से भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा आराधना करने से वैवाहिक जीवन में सुखमय और परिवार में सुख समृद्धि आती है। महाशिवरात्रि के पर्व पर क्षेत्र के कुछ शिवालयों पर मेले का भी आयोजन होता है। साथ ही शिव पार्वती के विवाह का नाट्य मंचन करते हुए शोभायात्रा भी निकाली जाती है। महाशिवरात्रि का पर्व देवाधिदेव महादेव के सम्मान में किया जाने वाला एक पवित्र अनुष्ठान है। इस दिन ओम नमः शिवाय और हर हर महादेव के जयकारे से पूरा वातावरण गुंजायमान रहता है।