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शुक्रवार को तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की हुई साधना तो चौथे दिन भक्त कुष्मांडा स्वरूप में शक्ति की करेंगे आराधना

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◆ चैत नवरात्र के पर्व की धूम


बसखारी अंबेडकर नगर। श्रद्धा,भक्ति ,उपासना के प्रतीक चैत नवरात्रि पर्व के तीसरे दिन माता दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा माता की  पूजा आराधना शुक्रवार को सूर्य देव की पहली किरण के साथ शुरू हुई। नवरात्रि के तीसरे दिन आदिशक्ति के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा माता की पूजा आराधना करने का विशेष महत्व शास्त्रों में वर्णित है। शक्ति का यह स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी है। शक्ति स्वरूपा माता दुर्गा अपने तीसरे स्वरूप स्वर्ण वर्ण में मस्तक पर अर्धचंद्र एवं हाथों में घंटा लिए शांति एवं शौर्य की प्रतीक सिंह पर विराजमान हैं। परिशुद्ध एवं पवित्र मन के साथ माता के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की शरणागत हो कर पूजा आराधना करने से सांसारिक कष्टों से मुक्ति  मिलती है। माता चंद्रघंटा की पूजा आराधना से मनुष्य इस जीवन को सुखमय बनाता ही है।साथ ही उसका परलोक भी सुधर जाता है। माता चंद्रघंटा की साधना से साधक के  शरीर में दिव्य प्रकाश युक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता रहता है।यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से नहीं दिखाई देती है। किन्तु साधक और उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव भली भांति करते रहते हैं।विद्यार्थियों के लिए मां साक्षात विद्या भी प्रदान करती हैं। नवरात्र के तीसरे दिन साधक माता चंद्रघंटा की पूजा आराधना के बाद शनिवार को नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे तेजस्वी स्वरूप माता कुष्मांडा देवी की पूजा आराधना करेंगे। मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कुष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से पुकारा गया है।

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