अम्बेडकर नगर। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने विगत दिनों एक फ़ैसला सुनाते हुए यह निर्णय दिया कि बेसिक शिक्षा विभाग के सहायक अध्यापक जो इंचार्ज हेडमास्टर/प्रधानाध्यापक का काम कर रहे हैं उसी के अनुरूप उन्हें वेतन भी मिलना चाहिए। उच्च न्यायालय की एकलपीठ ने बीएसए बलरामपुर को प्रभारी प्रधानाध्यापकों को प्रधानाध्यापक पद के अनुरूप बकाया सहित वेतन का भुगतान करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने याची दीपक कुमार एवं अन्य को सुनते हुए यह आदेश पारित किया।
इस याचिका के याचिकाकर्ताओं से बात करते हुए यह पता चला कि कई याची पिछले सात आठ वर्षों से अपने-अपने तैनाती वाले विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक की भूमिका निभा रहे हैं। उन्हें वेतन सहायक अध्यापक का ही दिया जा रहा है। इसके खिलाफ़ सभी ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल कर प्रधानाध्यापक पद के अनुरूप वेतन व बकाया भुगतान की गुहार लगायी। इस मामले के वक़ील अर्पित वर्मा से बात करने पर पता चला कि उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें प्रधानाध्यापक पद के अनुरूप वेतन व एरियर देने का आदेश दिया। इससे पहले भी एक अन्य याचिका न्यायाधीश अजय भनोट की कोर्ट से सिद्धनाथ पांडे एवं 20 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में अध्यापकों को एक आदेश में प्राभारी अध्यापकों को लाभ दिला चुके है। जिसके प्रभाव स्वरूप कुछ जिले के बीएसए ने ऐसे याचि अध्यापकों को लाभ देने के लिए प्रत्यावेदन मंगा लिया हैं ।