Sunday, April 28, 2024
HomeNewsमाता अंजनी की गोद में विराजमान हैं यहां हनुमतलला

माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं यहां हनुमतलला


◆ 76 सीढ़ीयां चढ़कर होते है बजरंगबली के दर्शन

◆ महाबीरी लगाने से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट


रघुपति के सबसे प्रिय भक्त हनुमान जी की महिमा का प्रभाव चारो युगों में है। माता जानकी के वरदान से बजरंगबली आठों सिद्धियों व नौ निधियों को प्रदान करने वाले हैं। उनके भक्तों को श्री हनुमान की सेवा से ही सर्वस्व की प्राप्ति होती है। अतुलित बल के स्वामी, ज्ञानियों में अग्रणी श्री हनुमान रामनगरी के श्री हनुमानगढ़ी मंदिर में भगवान श्रीराम के आदेश पर साक्षात निवास करते हैं। 76 सीढ़ीयां चढ़ कर यहां हनुमान जी का दर्शन लाभ प्राप्त करते है। माता अंजनी की गोद में श्री हनुमान विराजमान है।


श्री राम के दर्शन से पूर्व हनुमान जी के आदेश की है पुरानी परम्परा


सिद्ध संतों व महापुरूषों को समय-समय पर उनका अनुभव भी होता रहा है। अयोध्या के राजा होकर हनुमानजी श्रीराम के भक्त के रूप में हनुमानगढ़ी में सदा सर्वदा साक्षात वास कर भक्तों का कष्ट दूर करते हैं और उसे जड़ से समाप्त कर देते हैं। भगवान श्री राम के अनंत धाम जाने के समय उन्हें धरती पर रहने का आदेश दिया था। अयोध्या की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हनुमान जी को सौंपा था। श्री हनुमान जी ही कलियुग के देव है जो पृथ्वी पर ही विभिन्न रूप में रहते है। अयोध्या में भगवान श्री राम के दर्शन से पूर्व यहां उनका दर्शन तथा आदेश लेने की एक प्रथा पुरातन काल से चली आ रही है।


श्री हनुमान गढ़ी अयोध्या

बाबा अभयराम जी ने की थी हनुमानगढ़ी के स्थापना


हनुमान गढ़ी को अयोध्या के प्राचीनतम मंदिर में एक माना जाता है। लंका विजय के पश्चात् हनुमान जी यहीं टीले पर एक गुफा में रह कर अयोध्या की सुरक्षा किया करते थे। करीब 300 वर्ष पूर्व यहां के सिद्ध संत बाबा अभयराम जी द्वारा यहां रह हनुमान जी की आराधना करते थे। एक कथा के अनुसार अवध के नवाब शुजाउद्दौला का शहजादा गंभीर रूप से बीमार हुआ। कई चिकित्सकों उपचार के बाद जब वह ठीक नही हुआ। तो नवाब के हिन्दु मंत्रियों के द्वारा उन्हें बाबा अभयराम को दिखाने को कहा। बाबा द्वारा हनुमान जी का चरणामृत देने के बाद उसका स्वास्थ्य सही हुआ। बाबा के कहने पर नवाब द्वारा मंदिर का निर्माण कराया गया।


श्री हनुमान गढ़ी अयोध्या

हनुमान जयंती पर किया जाता है विशेष पूजन


कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान जयन्ती पर श्री हनुमान की गाथा व उनकी महिमा  हनुमानगढ़ी सहित यहां के मंदिरों में जगह-जगह गुंजायमान होता है। हनुमानगढ़ी में हनुमान जी का विशेष श्रृंगार व पूजन परम्परागत रूप से किया जाता है।


महाबीरी लगाने से दूर होते हैं सभी दुख-सन्ताप


धर्मिक मान्यता है कि माता जानकी ने हनुमान की भक्ति से प्रसन्न हो उन्हें आशीर्वाद दिया है कि हे हनुमान जो आपके शरीर पर सिन्दूर का लेप करेगा, उस सदैव मेरी कृपा रहेगी। जो आपकी उपासना करेगा उसके हृदय में सदैव मेरा वास होगा। इसी के बाद से हनुमानगढ़ी समेत सभी हनुमान मंदिरों में उनके विग्रहों में प्रतिदिन सिन्दूर का लेपन करने की परम्परा है। श्री हनुमान जी को चढ़ाने से बचने वाला सिन्दूर महाबीरी कहा जाता है जो हनुमानगढ़ी दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को पुजारी तिलक के रूप में लगाते हैं। महाबीरी लगाने से भक्तों के सारे दुख दूर हो जाते है।


श्री हनुमान गढ़ी अयोध्या

हनुमान जी के श्राप के कारण महार्षि वाल्मीकि ने को लेना पड़ा तुलसीदास के रूप में जन्म


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्री हनुमान जी के त्याग का एक और उदाहरण उनकी रचित पुस्तक हनुमन्नाटक के बारे में है। यह पुस्तक लेकर श्री हनुमान वाल्मीकि के पास गये तो उन्होंने पुस्तक की प्रसंशा तो की पर अन्दर ही अन्दर वे ईर्ष्या से भर उठे। श्री हनुमान ने उनकी पीड़ा भांप वरदान मांगने को कहा। इस पर वाल्मीकि ने श्री हनुमान से उनकी पुस्तक हनुमन्नाटक समुद्र में फेंक देने का वरदान मांग लिया। श्री हनुमान ने यह वरदान देने के साथ उन्हें मानव का एक और जन्म लेकर श्रीरामचरित लिखने का श्राप दिया। हनुमान के श्राप के कारण ही वाल्मीकि को तुलसीदास के रूप में जन्म लेकर श्रीरामचरित मानस लिखना पड़ा।

श्री हनुमान की त्याग-तपस्या पर भक्ति को यहां के संत-महन्त प्रतिदिन अपनी श्रीराम कथा में सुनाकर आनन्द का अनुभव करते हैं।


कैसे पहुंचे हनुमान गढ़ी


अयोध्या पहुंचने के बाद रेलवे स्टेशन से नया घाट रोड पर लगभग 1 किमी की दूरी पर मंदिर स्थित है। एयरपोर्ट से लगभग 10 किमी दूरी पर मंदिर स्थित है। दोनों स्थलों से मंदिर पहुंचने के लिए ई-बस, व प्राईवेट कार उपलब्ध रहती है। सड़क मार्ग से आने वाले श्रद्धालु लखनउ से गोरखपुर राजमार्ग से अयोध्या मुड़ते हुए धर्मपथ से लता चौक से रामपथ होते हुए मंदिर पहुंचा जा सकता है। लता चौक से मंदिर की दूरी लगभग 4 किमी है। आस पास वाहन पार्किंग स्थल मौजूद है। मंदिर रात में 9 बजे शयन आरती के बाद दर्शन के लिए बंद होता है। दिन में भोग आरती के लिए 12 बजे कुछ समय के लिए दर्शन नही होते है।

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

Ayodhya Samachar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments