आलापुर अंबेडकर नगर। तहसील क्षेत्र अंतर्गत एक छोटा सा गांव तरेम है। वहां पर प्राकृतिक खेती और जैविक खेती से भरपूर मुनाफा कमाने वाले किसान संतोष सिंह हैं, जिन्होंने एक खेत में पच्चीस तरह के फसल उगाकर एक मिशाल कायम की है। बातचीत उन्होंने बताया कि इस समय जिले में केला का बेहतर उत्पादन किया जा सकता है। केला हेतु 2 x 1.5 मीटर की दूरी पर 834 गड्ढा प्रति बीघा 45 x 45 x 45 सेंटीमीटर का खुदाई करवा के एक सप्ताह के लिए खुली धूप में रखें। फिर प्रति गड्ढा दस किलो गोबर की खाद ,सौ ग्राम खली,बीस ग्राम कीटनाशक मिट्टी में मिलाकर उल्टे नाव आकार में गड्ढे को भर दिया जाता है फिर 15 दिन बाद केले को पुत्ती या टिस्सू कल्चर के पौधे गड्ढे के बीच में लगाते हैं। केले में खाद की मात्रा अधिक होनी चाहिए। जिसके लिए प्रति पौध अलग से कई बार में बीस किलो कम्पोस्ट, 200ग्राम नाइट्रोजन,80ग्राम फास्फोरस,300 ग्राम पोटास की जरूरत होती है । केला में हमेशा नमी बनी रहनी चाहिए। जिसके लिए टपक सिंचाई का साधन अतिआवश्यक होता है ।केला के पौध के पास सकर्स बढ़ने नही देना चाहिए। इस प्रकार रोपाई के 11से12माह बाद प्रथम कटाई हो जाती है जो लगभग पच्चीस से तीस टन प्रति बीघा हो जाती है। जिससे किसान को अच्छी आमदनी प्राप्त हो जाती है।
इस समय संतोष सिंह जिले के प्राकृतिक एवं जैविक खेती के संयोजक हैं। वह जैविक खेती के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं और एक साथ कई फसलें कैसे उगाए जाएं वह बराबर लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं और स्वयं एक साथ एक खेत में 25 तरह की फसल उगा कर उन्होंने एक मिसाल बना रखी है। हाल ही में उनकी इस तरह की खेती को देखने के लिए जिला अधिकारी अविनाश सिंह स्वयं मौके पर देखकर लोगों को इस तरह की खेती के लिए प्रोत्साहित किए ।