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माता पिता की सेवा से प्रसन्न होते हैं परमात्मा : मौलाना मोहम्मद रजा रिजवी

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अंबेडकरनगर। परवर दिगारे आलम ने पवित्र पुस्तक कुरान में जहां अपनी पैरवी का हुक्म दिया वहीं तत्पश्चात माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार तथा आज्ञा पालन का भी स्पष्ट आदेश देता है। इस तथ्य से सहज पूर्वक मां-बाप के महत्व एवं महिमा का अनुमान लगाया जा सकता है।

उक्त बातें मौलाना मोहम्मद रजा रिजवी ने हुसैनी मस्जिद मीरानपुर में कही। वह सैय्यद मसरूर अख्तर आदि की ओर से आयोजित मरहूमा कनीज सैय्यदा बिंते ख्वाजा ज्यारत हुसैन व पत्नी सैय्यद वफादार हुसैन की बरसी की मजलिस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि संसार से माता-पिता के विदा होने के बाद भी उनके प्रति कर्तव्यों का निर्वहन किया जाना आवश्यक है। इसमें उनकी ओर से हज्ज, जियारत, कजा नमाजें, रोजा, उनके द्वारा किसी से लिए गए कर्ज की अदायगी और प्रति दिन सुबह की नमाज के उपरांत 11 रकत नमाज-ए-हदिया पढ़ा जाना चाहिए। इस नमाज में पढ़ी जाने वाली आयत का अर्थ है परवर दिगार जिस दिन हिसाब-किताब हो मुझे और मेरे वाल्दैन को बख्श दे। मां-बाप की खिदमत का अवसर मिलना वास्तव में बड़े सौभाग्य की बात है। सिरताज अली राजा ने कलाम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अल-इमाम चैरिटेबल फाउंडेशन ताजपुर के चेयरमैन ख्वाजा शफाअत हुसैन एडवोकेट, नज्मी, शोएब, इम्तियाज हुसैन, अजीज मेहदी अज्मी, मेहदी हसन, ख्वाजा मोहम्मद हैदर शादाब, तनवीरुल हसन बशन्ने, रियाज हुसैन, सज्जाद अस्करी, ख्वाजा अकबर, वासिल, हुसैन मियां, असद अली सहित अनेक लोग मौजूद थे।

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