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माफिया को रॉबिनहुड की संज्ञा युवाओं को दिशा भ्रमित करने वाला कदम

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ayodhya samachar

@ सुभाष गुप्ता


अयोध्या। पूर्वांचल के माफिया डॉन के रूप में अपनी पहचान बन चुके मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अपराध जगत का एक अध्याय भले ही समाप्त हो चुका हो। लेकिन राजनीति एंव तुष्टिकरण की नीति के चलते इसे रॉबिन हुड की दी जा रही संज्ञा ने युवाओं को दिशा भ्रमित करने की दिशा में अपना कदम बढ़ा दिया है। गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर, बनारस समेत पूर्वांचल के कई जनपदों में इस माफिया के ऊपर हत्या,अपहरण, फिरौती, गैंगेस्टर एक्ट जैसे कई संगीन अपराधो में लगभग 65 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। जिसमें सात मुकदमों में इसे आजीवन कारावास समेत कई सजा भी हो चुकी है। जबकि आठ मुकदमो में यह दोषी करार दिया जा चुका है। अब जबकि बीते 28 मार्च को उसकी मौत हो चुकी है तो ऐसे में कुछ राजनीतिक दल व समर्थक उसे रॉबिनहुड की संज्ञा देते हुए उसे एक आइडल के रूप में प्रस्तुत कर रहे है।

अब ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं कुछ राजनीतिक दल एवं उनके चंद समर्थकों के द्वारा उसे राबिन हुड की संज्ञा देने का उद्देश्य महिमा मंडन करने का तो नहीं है। अंग्रेजी व भारतीय लोक कथाओं में रॉबिन हुड व सुल्ताना डाकू के बारे में कहा जाता है कि दोनों ही अमीरों को लूटते थे, और उसे लूट के धन से गरीबों की मदद करते थे। और दोनों ही डाकू थे। लेकिन सुल्ताना के आगे डाकू शब्द और रॉबिन हुड के आगे डाकू शब्द ना लगा होने के कारण लोग महिमा मंडित होते हुए रॉबिनहुड को रियल हीरो समझने की गलती कर बैठे। जबकि रॉबिन हुड अंग्रेजी लोक कथाओं का बहिष्कृत हीरो था। रॉबिन हुड सुल्ताना डाकू में सबसे बड़ा अंतर यह था कि सुल्ताना डाकू लूट का कम उस वक्त कर रहा था जब देश गुलामी की जंजीरों में झकड़ा था। अंग्रेजी शासन में अपनी गिरफ्तारी के बाद सुल्ताना डाकू ने अपने किए हुए आपराधिक कार्यों पर पश्चाताप करते हुए अपनी मां की जीभ भी  यह कहते हुए काट दिया था कि यदि बचपन में की गई चोरी पर उसने उसे शाबाशी देने के स्थान पर डांट फटकार लगाई होती तो वह इतना बड़ा डाकू नहीं बनता और ना ही फांसी के फंदे पर उसे झूलना पड़ता। रॉबिन हुड के बारे में किसी भी अंग्रेजी लोक कथाओं में अपने किए गए कृतों पर पश्चाताप करने की कहीं भी कोई कहानी नहीं सुनाई पड़ती। जबकि अंग्रेजी लोक कथाओं में रॉबिन हुड  को बहिष्कृत हीरो की संज्ञा दी जा चुकी है। जिससे देश के युवा इन लोक कहानियो से सीख लेते हुए विषम परिस्थितियों में भी आपराधिक गतिविधियों का बहिष्कार कर भारतीय संविधान एवं एवं दुनिया की सर्वोच्च न्याय व्यवस्था भारतीय न्याय प्रणाली पर विश्वास करते हुए एक  जिम्मेदार नागरिक बने और  देश सेवा में अपना योगदान करें। बावजूद इसके कुछ राजनीतिक दलों एवं चंद समर्थकों के द्वारा माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को मौत के बाद रॉबिन हुड की संज्ञा देना जरायम की दुनिया को बढ़ावा देने के साथ देश के युवाओं को दिशा भ्रमित करने वाला कदम है।

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