अयोध्या। जिला चिकित्सालय के मनारोग विशेषज्ञ डा आलोक मनदर्शन का कहना है कि दशानन रावण के दहन से बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में दशहरा पर्व मनाया जाता है । रावण के दशोंमुख मन के व्यक्तित्व विकार या पर्सनालिटी डिसऑर्डर ही हैं । मॉडर्न मनोचिकित्सा मे भी दश व्यक्तित्व विकार वर्गीकृत हैं । इनमे समाजघाती व्यक्तिव विकार, बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार, हिस्ट्रीयानिक व्यक्तित्व विकार, नार्सिसिस्टिक व्यक्तिव विकार, पैरानाइड व्यक्तिव विकार, सिज़ोइड व्यक्तित्व विकार, सिज़ोटाइपल व्यक्तित्व विकार, अवॉयडेंट व्यक्तिव विकार, डिपेंडेंट व्यक्तित्व विकार व ऑब्सेसिव व्यक्तित्व विकार आतें है। सरल शब्दों में ये सभी व्यक्तित्व विकार असामाजिक,अनैतिक, अन्यायी, झक्की, क्रोधी आत्ममुग्धता, ईर्ष्यालु, सर्वशक्तिमान व दम्भ वाले व्यक्तित्व का सम्मिश्रण है। ये व्यक्तित्व विकार रावण मे ही नही, आधुनिक समाज में अल्प, मध्यम या गंभीर रूप मे व्याप्त है जो की व्यक्ति की सोच,भावनाओं व व्यवहार को दुष्प्रभावित करता रहता है और मनोरोगों की की आधारशिला बनता है।
उन्होंने बताया कि इन व्यक्तिव विकारों से ग्रसित लोगों की अंतर्दृष्टि शून्य होती है और वे अपने बनाये तर्को के आधार पर अपने व्यवहार व कृत्य को सही ठहरातें हैं जिसका खामियाज़ा स्वजन व समाज को भी भुगतना पडता है और जिसकी परिणति परघात या आत्मघात के रूप होती है।
इस प्रकार दशहरा व्यक्तित्व विकार रूपी रावण के प्रति अंतर्दृष्टि विकसित करने तथा मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के व्यक्तित्व सौदर्य जीवन मे आत्मसात करने का पर्व है। दशहरा पर्व विशेष यह मनोविश्लेषण डा आलोक मनदर्शन ने किया।