Saturday, November 23, 2024
HomeUncategorizedधरना, हड़ताल व प्रदर्शन का है मनोसंतुष्टि कनेक्शन

धरना, हड़ताल व प्रदर्शन का है मनोसंतुष्टि कनेक्शन

Ayodhya Samachar


अयोध्या। प्रोटेस्ट या विरोध प्रदर्शन के मनोगतिकीय कारकों के विश्लेषणोंपरान्त जारी रिपोर्ट में डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि धरना, प्रदर्शन, हड़ताल या पैदल मार्च जैसी सामाजिक युक्तियां तब प्रकाश मे आती है जब समाज के किसी वर्ग विशेष या आम जन के साथ कोई जघन्य जुर्म, अमानवीय घटना या अन्य प्रकार के अन्याय व शोषण आदि की घटना होती है। इन घटनाओं से उस समुदाय से जुड़े लोग समानुभूति व मनोआघात महसूस करने लगते है। ऐसी घटना विशेष से स्ट्रेस हार्मोन कॉर्टिसाल व ऐड्रीनलिन का स्तर लोगों के मन मस्तिष्क मे बढ़कर व्यक्तिगत व सामूहिक स्तर पर प्रोएक्शन व रिएक्शन की आम मनोदशा बनने लगती है जिसकी अभिव्यक्ति समूह वार्तालाप व सोशल मीडिया की पोस्ट में त्वरित दिखाती है और पीड़ित व्यक्ति या समूह के प्रति समानुभूति व सहानुभूति के मनोभाव व्याप्त हो जाते है। अपराधी के प्रति गुस्सा व पीड़ित के प्रति संवेदना के मनोभाव के हार्मोन एड्रीनलिन व ऑक्सीटोसिन का स्राव काफी बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप हड़ताल व प्रदर्शन जैसे सोशल एक्शन होते है।

 डा मनदर्शन के अनुसार सोशल एक्शन पूरे विश्व में विभिन्न रूप मे समय समय पर दिखाई पड़ते रहते है। वैसे हमारा देश प्रोटेस्ट कैपिटल कहा जाता है जिसके पीछे जनसंख्या दबाव, सामाजिक,सांस्कृतिक व धार्मिक विविधता, अपर्याप्त नागरिक संसाधन व अन्य जिओ-पॉलिटिकल व क्रिमिनल जस्टिस के मुद्दे प्रमुख है। प्रोटेस्ट एक स्वस्थ मनोयुक्ति का भी कार्य करता है जिससे दमित गुस्से को व्यक्त कर मन हलका होता है तथा एक जीवंत जिम्मेदार नागरिक होने की आत्मसंतुष्टि के हार्मोन सेरोटोनिन का मनोसंचार भी होता है।

Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar
Ayodhya Samachar

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments