Saturday, November 23, 2024
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पुलिस की एक लापरवाही ने ले ली श्रवण गुप्ता की जान

Ayodhya Samachar


◆ इब्राहिमपुर थाना क्षेत्र के दशरथपुर गांव का मामला


अम्बेडकरनगर। पुलिस की छोटी सी लापरवाही ने एक युवक की जान ले ली। मां ने अपने पुत्र के ख़िलाफ़ थाने में तहरीर दी लेकिन दो दिन बाद युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने से पुलिस के हाथ पांव फूल गए। मामला संदिग्ध था तो पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया। मामला इब्राहिमपुर थाना क्षेत्र का है जहां पर दशरथपुर गांव निवासी बेला गुप्ता ने 29 अप्रैल को अपने पुत्र श्रवण गुप्ता के खिलाफ थाने में तहरीर देते हुए बताया कि पारिवारिक मामले को लेकर पुत्र द्वारा पिटाई की गई है। जिसके बाद प्रार्थना पत्र की जांच बीट के मुख्य आरक्षी उमाशंकर मौर्य को सौपी गई। जिसके बाद वे घटना स्थल जांच करने हेतु गए और बात समझौते तक आ पहुंची चूंकि मामला पारिवारिक था तो समझौता भी हो गया। चर्चा है कि पुलिस द्वारा आरोपी बेटे को प्रताड़ित भी किया गया। बुधवार को सूचना प्राप्त हुई कि श्रवण गुप्ता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। चर्चा है कि परिजनों ने इस घटना को फांसी लगाकर आत्महत्या करने का रूप दे दिया लेकिन पुलिस अब कोई गलती नहीं करना चाह रही थी जिसके बाद शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।


मां और चाचा के संबंधों को लेकर तनाव में था मृतक


कहने को तो श्रवण नशेड़ी था लेकिन चर्चा यह है कि वह अपनी मां और चाचा के बीच संबंध को लेकर तनाव में था जिसका वह बराबर विरोध कर रहा था दबाव बनाने के लिए उसके खिलाफ तहरीर दी गई और पुलिस ने लापरवाही बरती तो उसकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई और फांसी का रूप दे दिया गया। इसकी पुष्टि संवाददाता द्वारा नहीं की जाती है यह सब जांच का विषय है।


थानेदार को शिक़ायत के संबंध में नहीं है जानकारी


29 अप्रैल को बेला गुप्ता द्वारा दिये गए प्रार्थना पत्र के बारे में थानेदार इब्राहिमपुर निरीक्षक संदीप राय को जानकारी नहीं है लेकिन उन्होंने कहा है कि चर्चा के सभी विंदुओं पर पुलिस जांच करेगी और शव को पोस्टमार्टम के भेजा गया है। अब सवाल यह है कि जब थानेदार को प्रार्थना पत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है तो मुख्य आरक्षी उमाशंकर मौर्य को जांच किसने दिया और किस प्रकार की जांच आख्या प्रेषित की गई।


थानेदार के समक्ष पेश नही करवाया गया


जांच अधिकारी द्वारा यानी मुख्य आरक्षी उमाशंकर द्वारा आरोपी पुत्र को थानेदार के समक्ष पेश करना जरूरी नही समझा गया। चर्चा है कि थाने के बाहर बाहर ही खुद बचने के लिए सिपाही द्वारा समझौता करवाकर अपने मोबाइल पर पीड़िता के नंबर से सुलहनामा मंगवा लिया गया जिससे साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी।

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