Sunday, September 22, 2024
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लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित – जिला जज


◆ राष्ट्रीय लोक अदालत का हुआ आयोजन


अयोध्या। शनिवार को वृहद राष्ट्रीय लोक अदालत का अयोजन किया गया। लोक अदालत की शुरूवात माँ सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन कर जनपद न्यायाधीश गौरव कुमार श्रीवास्तव ने किया। लोक अदालत में लगभग 26 हजार वादों का निस्तारण किया गया।
इस दौरान जनपद न्यायाधीश ने कहा कि लोक अदालत की मूल भावना में लोक कल्याण की भावना समाहित है। सुलह समझौता के दौरान सभी का मान, सभी का सम्मान, सभी को न्याय मिले इसका ध्यान रखा जाता है। सुलह समझौते में दोनों पक्षों के मध्य आपसी क्लेश, मतभेद एवं दुर्भावना समाप्त हो जाती थी।
उन्होंने आगे कहा कि लोग मिल-जुल कर प्रेम भावना से रहे. जो समाज एवं राष्ट्र के हित में है। यदि आपसी मतभेद पनपते भी हैं, तो उसे शांत एव सदभाव के साथ समाप्त करने का प्रथम प्रयास दोनों पक्षों द्वारा किया जाना चाहिए। यदि प्रथम प्रयास में दोनों पक्ष सफल नहीं होते है तभी उन्हें न्यायालय के शरण जाना चाहिए। उन्होंने आगे बताया कि जनपद न्यायालय परिसर के अतिरिक्त क्लेक्ट्रेट एवं सभी तहसीलों में आपसी सुलह-समझौता के आधार पर वादों का निस्तारण कराया जाएगा।
इस अवसर पर सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री शैलेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि लोक अदालत के आयोजन में धारा 138 पराकाम्य लिखत अधिनियम (एन.आई.ऐक्ट), बैंक वसूली वाद, श्रम विवाद बाद, विद्युत एवं जलवाद बिल, (अशमनीय वादों को छोड़कर) अन्य आपराधिक शमनीय वाद, पारिवारिक एवं अन्य व्यवहार वाद, पारिवारिक विवाद, भूमि अधिग्रहण वाद, सर्विस मैटर से संबन्धित वेतन, भत्ता और सेवानिवृत्ति लाभ के मामले, राजस्व वाद, जो जनपद न्यायालय में लम्बित हो, अन्य सिविल वाद आदि निस्तारित किये गये।
बृजेश कुमार सिंह, अपर जिला जज व नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय लोक अदालत एवं शैलेन्द्र सिंह यादव सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 26755 वादों को निस्तारित किया गया एवं कुल समझौता राशि मु० 24 करोड़ रूपये है जो कि पिछली लोक अदालत की अपेक्षा अधिक है।
उन्होनें बताया कि बैंक रिकवरी से संबन्धित प्री-लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये। बैंक संबंन्धित लगभग 6 करोड़ रूपये वसूल किये गये। पारिवारिक विवाद से सम्बन्धित 45 मुकदमों को निस्तारित किया गया है, जिसमें कई पुराने वाद निस्तारित किये गये। संबंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों द्वारा 11435 वाद निस्तारित किया गया, जिसके एवज में लगभग 70 हजार अर्थदण्ड लगाया गया। राजस्व मामलों से संबधित 14209 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालय द्वारा निस्तारित किये गये।
उद्घाटन के दौरान रामायण शर्मा, प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय, सत्यदेव गुप्ता, मोटर दुर्घटना न्यायाधिकरण, सुशील कुमार शशी, पीठासीन अधिकारी, कामर्शियल न्यायालय, अशोक कुमार दूबे, अपर जिला जज, एकता सिंह, अपर प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय एवं अन्य सभी न्यायिक अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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