मथुरा। दिल्ली की रहने वाली आयुषी चौधरी की हत्या उसके पिता ने की थी। इसके बाद उसके शव को एक ट्राली बैग में भरकर यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे फेंक दिया था। परिजनों के मुताबिक मां बाप अपनी बेटी को बेटे से ज्यादा मानते थे। अब सवाल उठता है कि 17 नवंबर को ऐसा क्या हुआ कि आयुषी के बाप ने उसकी गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद में शव को ठिकाने लगाने में उसकी मां ने भी साथ दिया। आरोपी मां-बाप अब जेल में है।
आयुषी ने साल भर पहले और समाज मंदिर में छत्रपाल गुर्जर नाम के एक युवक शादी कर ली थी। वह दूसरी जात का था। उसने इस शादी के बारे में कुछ दिन पहले अपने मां-बाप को बताया था ।उनके माता-पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। इसके बाद भी आयुषी छत्रपाल से छुप छुप के मिलती थी । आयुषी चाहती थी कि उसके मां-बाप इस रिश्ते को कबूल कर ले परंतु उसके माता-पिता रिश्ते को कबूल करने के लिए तैयार नहीं थे । 17 नवंबर को आयुषी और उनके मां-बाप के बीच में इसी शादी को लेकर झगड़ा हुआ । आयुषी के छुप छुप के मिलने से मां-बाप को आपत्ति थी ।परंतु इसी बीच आयुषी ने एक झूठ बोला कि वह प्रेग्नेंट है ।
आयुषी सोच रही थी कि इस झूठ के कारण उसके माता-पिता इस शादी को अपनी मंजूरी प्रदान कर देंगे ।परंतु हुआ इसका ठीक उल्टा । आयुषी के पिता नितेश यादव को इस बात से काफी गुस्सा आया और गुस्से में उसने अपनी सर्विस रिवाल्वर से आयुषी पर गोली चला दी। जिससे आयुषी की मौत हो गई ।
नितेश और उसकी पत्नी बृजबाला ने 1 दिन तक लाश को अपने घर में ही छुपा कर रखा। बृजबाला ने फर्श पर लगे खून के दाग को भी मिटा दिया ।इसके बाद में नितेश पॉलिथीन और ट्रॉली बैग खरीद के ले कर आया ।18 नवंबर को दोनों ने शव को पॉलिथीन में लपेटा और उसे लाल रंग के सूटकेस में रख दिया इसके बाद दोनों लाश को ठिकाने निकाले कार से निकल गए ।
दोनों ने मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे के किनारे उससे शव को फेंका और वापस लौट आए ।पुलिस के मुताबिक आयुषी ने साल भर पहले और समाज मंदिर में शादी कर ली थी और इस साल अक्टूबर में शाहदरा कोर्ट में उसका रजिस्ट्रेशन भी करा लिया था। आयुषी चाहती थी उसके माता-पिता इस शादी को स्वीकार कर ले फिर उसके बाद में परंपरागत तरीके से उसकी शादी कराएं ।परंतु उनके माता-पिता को लड़का दूसरी जाति होने के कारण या शादी मंजूर नहीं थी ।इसके अलावा दोनों परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी काफी अंतर था जिसको लेकर के आयुषी और उनके मां बाग में अक्सर विवाद होता रहता था।