◆ जागरूकता से है इलाज संभव
अयोध्या। व्यक्तित्व विकार वह मानसिक प्रक्रिया है जो विचारों,भावनाओं व व्यवहार को दुष्प्रभावित तो करता ही है,आगे चलकर पैनिक एंजायटी अटैक या तीव्र भययुक्त घबराहट मनोरोग का रूप भी ले सकता है। चिंतालु व शंकालु व्यक्तित्व विकार गंभीर इस मनोरोग का मूल कारण है क्योंकि ऐसा व्यक्ति हर वक़्त अनावश्यक तनाव पैदा करने वाले विचारों से घिरा रहने के कारण तनावग्रस्त रहता है।पैनिक अटैक का मूल कारण तो मानसिक होता है पर इसके लक्षण शरीर पर दिखाई पड़ते हैं जिनमे दिल की असामान्य धड़कन ,भारीपन, घुटन,पेटदर्द ,सर दर्द ,शरीर में ऐंठन,बेहोशी, शुन्नपन इत्यादि हो सकते हैं। सामान्य होने के बाद भी ऐसे अटैक होने का भय मरीज मे बना रहता है। शारीरिक जांच के बार बार सामान्य मिलने के बावजूद भी व्यक्ति डॉक्टर के चक्कर इस संशय से लगाता रहता है कि उसे ऐसा कोई गंभीर रोग तो नहीं जो अन्य डॉक्टर की पकड़ में नहीं आ रहा है । रही सही कसर इंटरनेट पर बीमारी के लक्षण की सर्च पूरी कर देती है। जागरूकता व स्वीकार्यता की कमी इलाज़ में बाधा है । यह बातें जिला चिकित्सालय में वर्ल्ड पैनिक अटैक दिवस 9 मार्च पर आयोजित पर्सनालिटी टाइप एंड पैनिक अटैक विषयक कार्यशाला में डा आलोक मनदर्शन ने कही ।
सलाह :अनावश्यक व बार बार चिन्ता , शक या डर महसूस होने पर मनोपरामर्श अवश्य लें। अतिनिद्रा या अनिद्रा, भूख में उतार चढ़ाव, असामान्य दिल की धड़कन ,पेट का ठीक न रहना , सर दर्द, थकान, चिड़चिड़ापन,अतिक्रोध,आत्मघाती या परघाती विचार जैसे लक्षण भी दिख सकतें है। स्वस्थ, मनोरंजक व रचनात्मक गतिविधियों तथा फल व सब्जियों के सेवन को बढ़ावा देते हुए योग व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल कर आठ घन्टे की गहरी नींद अवश्य लें ।