अयोध्या। सामयिक-मनोजागरूकता को लेकर डा आलोक मनदर्शन ने बताया कि महाकुम्भ के आध्यात्मिक संगम में श्रद्धालु जहाँ एक ओर मनोविकारों के शुद्धिकरण की डुबकी लगा लगाते रहे, वही कुछ लोग इनकी अश्लील फोटो व वीडियो बनाने के दुष्कृत्य करते रहे । इस खुलासे से एक बार फिर चोरी-छिपे विपरीत-लिंगी अश्लील दृश्यों के अवलोकन से विकृत मनोआनंद की प्रवृत्ति पुनः चर्चा में आ गयी। यह मनोसेक्स-विकृति वायुरिज्म कहलाती है तथा इससे ग्रसित व्यक्ति वायुरिस्ट कहे जाते हैं । इस विकृति के लोग चोरी-छिपे वाश-रूम, टॉयलेट , ट्रायल-रूम या बेड-रूम इत्यादि में ताक-झाँक व रिकॉर्डिंग गुप्त-कैमरे या अन्य छद्दम डिवाइस से करने लगे हैं। इतना ही नही, ऐसे लोग इन अश्लील-कन्टेंट को अन्य वायुरिस्ट यानि इस लत से ग्रसित लोगों को बेचने भी लगे है। इस तरह की तमाम घटनाओ की खबरें होटल, रेस्ट्रा,माल,स्टेशन, एयरपोर्ट, हॉस्टल या अन्य पब्लिक फैसिलिटी से समय समय पर आती रहती हैं। ऐसे लोगों के लिये अश्लील- कंटेंट मादक नशे के रूप में हावी होता है, जिसके अन्य रूपों में पोर्नोग्राफी व अन्य मादक द्रव्य के नशे की लत भी देखने को मिलती है। इनमें सेक्सोत्तेजक मनोरसायनो का स्तर असामान्य रूप से बढ़ा होता है तथा इनमे अन्य मनोसेक्स-विकृत्यों जैसे बीस्टोफिलिया यानि पशुओं के साथ सेक्स करने या देखने तथा विपरीत-लिंगी अंतवस्त्रों को देखने की लत भी होती है। वायुरिस्टिक-डिसआर्डर से ग्रसित लोग इस मनोरुग्णता के प्रति अनभिज्ञ होते है तथा संकोच व लोक-लज्जा के कारण इलाज नही ले पाते । मनोजागरूकता व उपचार से इस मनोविकार से निजात तथा स्वस्थ जीवन में पुनर्वास सम्भव है।